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Republic Day 2024: 40 साल बाद बग्गी से पहुंचीं राष्ट्रपति, सिक्का उछालकर भारत ने पाकिस्तान से जीती थी ये सवारी, जानें पूरी कहानी

बग्गी के इतिहास की बात करें तो ये परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. उस दौरान सोने की परत चढ़ी, घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी होती थी. ये भारत के वायसराय की बग्गी होती थी.

Republic Day 2024 Republic Day 2024
हाइलाइट्स
  • बग्गी पर सवार होकर कर्तव्य पथ पहुंचे मुर्मू-मैक्रों

  • आजादी के समय पाकिस्तान से जीती गई थी ये बग्गी

26 जनवरी पर पूरे देश की नजरें इंडिया गेट पर होने वाली परेड पर होती हैं. सभी जानना चाहते हैं कि आखिर इसबार क्या नया हुआ है. हर बार की तरह इस 75वें गणतंत्र दिवस पर भी काफी कुछ अलग हुआ. इन्हीं में से एक है राष्ट्रपति की बग्गी .

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को 75वें गणतंत्र दिवस पर समारोह में जाने के लिए लिमोजिन की जगह बग्गी का विकल्प चुना. और इसी के साथ 250 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इसी बग्गी पर सवार होकर गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे. बता दें, 40 साल बाद भारत के राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस परेड के समारोह में हिस्सा लेने के लिए बग्गी की सवारी की है. 

सुरक्षा कारणों से हटा दी गई थी बग्गी 

दरअसल, सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक समारोहों में बग्गी की परंपरा को बंद कर दिया गया था. लेकिन अब एक बार फिर से इसे पुनर्जीवित किया गया है. हालांकि, बग्गी के इतिहास की बात करें तो ये परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. उस दौरान सोने की परत चढ़ी, घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी होती थी. ये भारत के वायसराय की बग्गी होती थी. 

सिक्का उछालकर किया गया फैसला

जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उसके तुरंत बाद दोनों देशों ने फैंसी बग्गी पर दावा किया. इस झगड़े को सुलझाने के लिए कोई अधिकारी नहीं था. ऐसे में दोनों देशों ने इसका फैसला सिक्का उछालने से किया. भारत के लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान ने मिलकर इसमें हिस्सा लिया. इतना ही नहीं दोनों ने यह भी जिम्मेदारी ली कि बग्गी किसके पास जाएगी, यह सिक्का उछालने पर निर्भर करेगा. वो टॉस भारत ने जीता और उसी के साथ ये बग्गी भारत की हुई. तभी से भारत में इसका उपयोग देश के निर्वाचित राष्ट्रपतियों द्वारा किया जाता है. 

शाही है ये बग्गी 

राष्ट्रपति की बग्गी बेहद शाही है. ये एक काली गाड़ी है जिस पर राष्ट्रीय प्रतीक, अशोक चक्र, सोने में उभरा हुआ है. बग्गी पर सोने की परत भी चढ़ी हुई है. ये बग्गी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई घोड़ों की मिश्रित नस्ल द्वारा खींचा जाता है. इस बग्गी को 6 घोड़े मिलकर खींचते हैं.  

साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से इस बग्गी को इस्तेमाल के लिए बंद कर दिया गया था. उसके बाद पहली बार साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस बग्गी में सवार होकर बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस बार राष्ट्रपति ने 40 साल बाद गणतंत्र दिवस समारोह में जाने के लिए बग्गी की सवारी की है.