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REPUBLIC DAY: पीएम मोदी ने पहनी उत्तराखंड की खास टोपी, जानिए टोपी बनाने वाले से इसकी खासियत

स्थानीय लोगों का कहना है कि पीएम मोदी का उत्तराखंड की टोपी पहनना हिमालयी राज्य के सभी कारीगरों के लिए एक "बड़ी बात" है क्योंकि वे स्थानीय व्यापार के लिए "अच्छे दिन" की उम्मीद कर सकते हैं.

पीएम मोदी ने पहनी उत्तराखंड की पहाड़ी टोपी पीएम मोदी ने पहनी उत्तराखंड की पहाड़ी टोपी
हाइलाइट्स
  • समीर शुक्ला अभी क्षेत्रीय कारीगरों की टीम बनाकर टोपी बनाने का काम कर रहे हैं

  • कैप को 2017 में लॉन्च किया गया था और पिछले पांच से सालों में  में लगभग 8,000 टोपियां बिक चुकी हैं. 

73वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  (Prime Minister Narendra Modi) उत्तराखंड की खास टोपी पहने नज़र आए. पीएम मोदी ने (PM Modi ) इस खास मौके पर मणिपुर का स्टॉल भी पहना हुआ था. वैसे तो पीएम मोदी की यह टोपी कई मायनों में खास है .बता दें कि पीएम मोदी ने जो टोपी पहनी वो उत्तराखंड की पहाड़ी टोपी है. इस टोपी में ब्रह्मकमल का चिह्न बना है, जो एक फूल है. तो आईये जानते हैं पीमए मोदी की इस टोपी की खासियत के बारे में 

टोपी बनाने वाले ने बताई टोपी की खासियत

उत्तराखंड को खास पहचान दिलाने वाले सोहम आर्ट एवं हेरिटेज सेंटर मसूरी के संचालक समीर शुक्ला ने बताया कि, ‘इस टोपी में एक तो ब्रह्मकमल लगा हुआ है, जो उत्तराखंड का राज्य फूल है इस फूल को शुभ भी माना जाता है. इसके अलावा इसमें चार रंग की एक पट्टी बनी हुई है, जो जीव, प्रकृति, धरती, आसमान के सामन्जस्य के बारे में बताती है. इस टोपी को खास लोकल कारीगर ही बनाते हैं. ज्यादातर इस टोपी में भूटिया रिवर्स का कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर नहीं मिलता है तो वूलन के लिए ट्वीड का कपड़ा इस्तेमाल होता है और गर्मी के लिए खादी का कपड़ा इस्तेमाल होता है.

समीर शुक्ला अभी क्षेत्रीय कारीगरों की टीम बनाकर टोपी बनाने का काम कर रहे हैं, जिससे इस टोपी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है. इस टोपी में पहले सिलाई का काम होता है और उसके बाद हाथ से इस पर पट्टी लगाने का काम होता है.

किसने बनाई है ये टोपी?

ये टोपी सोहम आर्ट एवं हेरिटेज सेंटर मसूरी की तरफ से ही बनाई जाती है. संस्थान के संचालक बताते हैं कि उनकी  पत्नी कविता शुक्ला भी उनके साथ काम कर रही हैं .  सोहम आर्ट एवं हेरिटेज सेंटर मसूरी में क्षेत्रीय कलाकारों काम कर रहे हैं . 

क्या है ब्रह्मकमल?

ब्रह्मकमल, उत्तराखंड का राष्ट्रीय फूल है और इस फूल की कई धार्मिक रूप से बहुत खास है.ब्रह्मकमल फूल अगस्त के महीने में उगता है और नंदा अष्टमी को लेकर इस फूल का खास महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि रामायण में लक्ष्मण के बेहोश होने के बाद इलाज और ठीक होने पर देवताओं ने स्वर्ग से जो फूल बरसाए, वे ब्रह्म कमल ही थे. माना जाता है कि भारत में इस फूल की करीब 61 प्रजातियां पाई जाती हैं, ये सभी 61 प्रजातियां ज्यादातर हिमालयी इलाकों में ही पाई जाती हैं. 

समीर शुक्ला ने कहा कि उत्तराखंड में लोग आमतौर पर सफेद 'नेहरू टोपी' और गढ़वाल क्षेत्र में एक काली टोपी पहनते हैं.  जौनसार क्षेत्र में, स्थानीय लोग 'हिमाचली टॉपिस' को करीब से देखने वाली टोपी पसंद करते हैं.

समीर शुक्ला ने कहा कि “हर राज्य की अपनी पोशाक या टोपी होती है.  लेकिन उत्तराखंड में हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं था जो एक राज्य के रूप में उत्तराखंड की पहचान पेश करता हो,  इसलिए, हमने एक हेडगियर (टोपी) डिजाइन करने का फैसला किया. शुक्ला ने आगे कहा कि जब मैं और मेरी पत्नी टोपी बनाने का आईडिया सोच रहे थे तब हमने ये सोचा था कि इस टोपी को इस तरह बनाया जाएगा कि जवान भी इस टोपी को पहनना पंसद करें. कैप को 2017 में लॉन्च किया गया था और पिछले पांच से सालों में  में लगभग 8,000 टोपियां बिक चुकी हैं. 

स्थानीय लोगों का कहना है कि  पीएम मोदी का उत्तराखंड की टोपी पहनना हिमालयी राज्य के सभी कारीगरों के लिए एक "बड़ी बात" है क्योंकि वे स्थानीय व्यापार के लिए "अच्छे दिन" की उम्मीद कर सकते हैं.