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जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मुहिम में अपने पेंशन की आधी रकम खर्च कर देते हैं 82 वर्षीय दयानन्द

महराजगंज के स्वास्थ्य विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर तैनात रहे दयानन्द गुप्ता वर्ष 1998 में रिटायर हुए. उसके एक वर्ष बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न समाज के लिए कुछ किया जाय. और एक वर्ष बाद ही 1999 में जिला मुख्यालय पर रेल लाने की मुहिम में वो जुट गए. दयानन्द गुप्ता की यह लड़ाई वर्ष 2005 में और बड़ी हो गई जब आरटीआई अधिनियम आया. तबसे इनको समाज के लिए कुछ करने का एक बड़ा हथियार मिल गया और इन्होंने अपनी लड़ाई और तेज कर दी. 

महराजगंज जिला मुख्यालय पर रेलवे न होने के कारण ये काफी पिछड़ा हुआ है महराजगंज जिला मुख्यालय पर रेलवे न होने के कारण ये काफी पिछड़ा हुआ है
हाइलाइट्स
  • दस्तावेज और अखबारों के पन्नों में दर्ज है दयानन्द गुप्ता का संघर्ष

  • ना किसी से कोई सहयोग लिया ना ही किसी के सामने हाथ फैलाने गए

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के निवासी 82 वर्षीय डॉ० दयानन्द गुप्ता के संघर्ष की गाथा काफी पुरानी है. दयानन्द ने महराजगंज जिला मुख्यालय को रेल लाइन से जोड़ने के लिए रेलवे से लंबे समय से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. इस लड़ाई में इन्होंने ना किसी से कोई सहयोग लिया ना ही किसी के सामने हाथ फैलाने गए बल्कि अपने पेंशन की आधी रकम इस लड़ाई में खर्च करते आ रहे हैं. 

वर्ष 1989 में महराजगंज जिला बना लेकिन यहा जिला मुख्यालय पर रेलवे लाइन नहीं है. महराजगंज की सत्ता पर वही राज किया है जिसने महराजगंज में रेलवे लाने की बात की लेक‍िन बस यह एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गया है. लेकिन दयानन्द गुप्ता ने इसको अपना सपना बना लिया. 

महराजगंज के स्वास्थ्य विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर तैनात रहे दयानन्द गुप्ता वर्ष 1998 में रिटायर हुए. उसके एक वर्ष बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न समाज के लिए कुछ किया जाय. और एक वर्ष बाद ही 1999 में जिला मुख्यालय पर रेल लाने की मुहिम में वो जुट गए. दयानन्द गुप्ता की यह लड़ाई वर्ष 2005 में और बड़ी हो गई जब आरटीआई अधिनियम आया. तबसे इनको समाज के लिए कुछ करने का एक बड़ा हथियार मिल गया और इन्होंने अपनी लड़ाई और तेज कर दी.

महराजगंज एनआईसी सेंटर पर इनको सुनवाई के लिए दो बार बुलाया गया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सूचना आयुक्त और रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी से इनकी बात हुई. कुछ बात आगे भी बढ़ी लेकिन अभी भी मामला फाइलों में दबा है. दयानन्द गुप्ता की उम्र 82 वर्ष हो गई है. अब वो न कुछ ठीक से सुन पाते हैं और ना कुछ ठीक से बोल पाते. इतना ही नहीं, कुछ ठीक से इनको याद भी नहीं रहता. लेकिन उनकी यह लड़ाई दस्तावेजों और अखबार के पन्नों में दर्ज है.

इनके लड़के डॉ अमरनाथ गुप्ता बताते हैं कि ये अब भी पूछते रहते हैं क‍ि कोई नया अपडेट आया कि नहीं. क्या लग रहा है क‍ि रेल लाइन आ जाएगी. राजनीतिक पार्टियां क्या कर रही हैं. डॉ० दयानन्द गुप्ता आजादी के बाद देवरिया के भाटपाररानी विधानसभा से तीन बार विधायक रहे अयोध्या प्रसाद के बेटे हैं.

दयानन्द गुप्ता ने बताया कि वो यह लड़ाई लड़ रहे थे तभी वर्ष 2015 में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का कार्यक्रम महराजगंज में लगा और उस समय उनका कहना था कि राज्य में हमारी सरकार नहीं है और राज्य सरकार जमीन देगी तभी रेल लाइन आ सकेगी लेकिन आज देश और प्रदेश में दोनों जगह बीजेपी की सरकार है.

अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि महराजगंज जिला मुख्यालय पर रेलवे न होने के कारण ये काफी पिछड़ा हुआ है. उनके पिताजी यहां रेलवे लाने के लिए लड़ाई लड़े. कुछ काम आगे भी बढ़ा. सर्वे हो गया. पत्थर गड़ गया. दो वर्ष कोरोना ने ले लिया नहीं तो अबतक काम काफी कुछ आगे बढ़ गया होता. हालांक‍ि अमरनाथ को विश्वास है सीएम योगी आद‍ित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से महराजगंज में रेलवे का सपना साकार हो सकेगा.

(अमितेश त्रिपाठी की र‍िपोर्ट)