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Bharatiya Nyaya Sanhita में बदलाव से डॉक्टरों को बड़ी राहत, medical negligence से मौत पर नहीं माना जाएगा दोषी

वर्तमान में, अगर किसी डॉक्टर की लापरवाही के कारण कोई मौत होती है, तो इसे आपराधिक लापरवाही या हत्या के समान माना जाता है. लेकिन नए विधेयक में डॉक्टरों को इससे मुक्ति मिलेगी.

A doctor at Delhi's Safdarjung Hospital was allegedly attacked by a patient. (Source: File) A doctor at Delhi's Safdarjung Hospital was allegedly attacked by a patient. (Source: File)

आए दिन परिजनों द्वारा डॉक्टरों संग मारपीट की खबरेंसामने आती हैं. अस्पतालों में किसी मरीज के ठीक न हो पाने या उसकी बीमारी बढ़ जाने या मरीज की मौत हो जाने पर परिजन अस्पताल या डॉक्टरों को कोसते हैं. ऐसे कई मामले हैं, जिन पर अदालतों ने स्पष्ट फैसले दिए हैं कि अगर डॉक्टर की लापरवाही की वजह से मौत हुई हो तो उनके लिए सजा का प्रावधान है. लेकिन नए आपराधिक कानून के तहत चिकित्सीय लापरवाही से मौत पर डॉक्टर दोषी नहीं होंगे.

लापरवाही से मौत गैर इरादतन हत्या की श्रेणी से बाहर
लोकसभा में बुधवार को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक में संशोधन पारित कर दिया. इसमें किसी डॉक्टर की लापरवाही के कारण होने वाली मौत में डॉक्टरों को दोषी नहीं माना जाएगा. ये विधेयक ऐसे समय पारित किया गया, जब विपक्ष के 97 सांसद निलंबित हैं. विपक्षी नेताओं ने सांसदों के निलंबन के बावजूद विधेयक पारित किए जाने पर सवाल उठाए.

रजिस्टर्ड डॉक्टर के लिए नियम अलग
वर्तमान में अगर किसी डॉक्टर की लापरवाही के कारण कोई मौत होती है, तो इसे आपराधिक लापरवाही या हत्या के समान माना जाता है. लेकिन नए विधेयक में डॉक्टरों को इससे छूट दी गई है. हालांकि अगर ऐसा काम किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर द्वारा चिकित्सा प्रक्रिया करते समय किया जाता है, तो उसे दो साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसमें खंड 106(1) लापरवाही से मौत का कारण बनने से संबंधित है.

डॉक्टरों को ऐसे मामलों में मुकदमे से बाहर रखा जाएगा
पिछले कानून में चिकित्सा लापरवाही के परिणामस्वरूप होने वाली मौतों के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत "दो साल तक की सजा, या जुर्माना, या दोनों" की सजा हो सकती है. आईपीसी का संशोधन अब डॉक्टरों को चिकित्सीय लापरवाही के लिए किसी भी आपराधिक कार्यवाही से राहत देता है. किसी डॉक्टर ने किसी मरीज का इलाज किया है और इसके बाद भी वह बच नहीं पाता है, तो डॉक्टर को इसमें लापरवाही या अनदेखी का दोषी नहीं माना जा सकता.

लोकसभा ने बुधवार, 21 दिसंबर को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पारित कर दिया. तीन पुराने कानूनों के स्थान पर लाए जा रहे नए आपराधिक कानून विधेयक हमारे संविधान की तीन मूल भावनाओं - व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सभी के साथ समान व्यवहार के सिद्धांत - के आधार पर बनाए गए हैं. नए आपराधिक कानून विधेयक में मॉब लिंचिंग के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का भी प्रस्ताव है.