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कोरोना की वैक्सीन लगवाने से आधा हो जाता है मौत का खतरा, ICMR की स्टडी में हुआ खुलासा

मैकेनिकल वेंटिलेशन (Mechanical Ventilation)की जरूरत उन लोगों में बहुत कम थी, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग गई हैं लेकिन, उन लोगों में ज्यादा थी जिन्हें एक डोज लगी है या जिन्हें अब तक टीका नहीं लगा है.

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हाइलाइट्स
  • कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर ICMR की रिपोर्ट

  • देश भर के 37 अस्पतालों से लिया गया डेटा

देश भर में कोरोना वायरस (Coronavirus)का खौफ जारी है. इन दो सालों में कई लोगों ने कोरोना के कारण अपनों को खोया है. हालांकि इस बीच एक राहत की खबर है कि जिन लोगों को पूरी तरह से कोरोना का टीका लग चुका है उनके लिए मौत का खतरा आधा हो जाता है. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी थी या जिन्हें केवल एक डोज दी लगी थी उनमें मौत का जोखिम दोगुने से अधिक था. 

इस रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती जिन लोगों को पूरी तरह से कोरोना वैक्सीन लग चुकी है उनमें 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई वहीं, जिन लोगों को कोरोना का टीका नहीं लगा था या जिन्होंने केवल एक खुराक ली थी उनमें 22 प्रतिशत लोगों की जान चली गई. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(ICMR) कोविड -19 डेटा की नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री से इस बात का खुलासा हुआ है. 

इसके अलावा, मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत उन लोगों में बहुत कम थी, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग गई है. आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने बताया कि जिन्हें टीका लग चुका है उनमें से केवल लगाया 5.4 प्रतिशत लोगों को वेंटिलेशन की जरूरत थी और जिन्हें पूरी तरह टीका नहीं लगा है उनमें इसकी जरूरत 11.2 प्रतिशत देखी गई. 

37 अस्पतालों से लिया गया डेटा 

ओमिक्रॉन लहर के दौरान प्रमुख लक्षण गले में खराश का था. जिन्हें वैक्सीन लग चुकी थी उनमें उन लोगों से कम लक्षण देखे गए जिन्हें पूरी तरह से वैक्सीन नहीं लगी है. यह डेटा देश भर में 37 अस्पतालों से लिया गया है.  ब्रीफिंग में स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधि ने यह भी बताया कि इस बार कि लहर में ज्यादा जोखिम नहीं था, जैसा पहले की लहरों में देखा गया था. उन्होंने कहा कि कोविड टीकों की दोनों खुराक महामारी से होने वाले मौत के खतरे से आधा कर देती है. 

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