scorecardresearch

RK Laxman Birth Anniversary: इंदिरा गांधी की नाराजगी से लेकर बाल ठाकरे के सम्मान और रतन टाटा के धन्यवाद तक, जानिए 'कॉमन मैन' के 'सुपरमैन' आर. के. लक्ष्मण से जुड़े मजेदार किस्से

आज भी लोगों के जहन में आर. के. लक्ष्मण का सबसे पॉपुलर कार्टून किरदान 'Common Man' बसा हुआ है. आर. के. लक्ष्मण देश के सबसे मशहूर और सम्मानित कार्टूनिस्ट थे. आज जानिए उनके कुछ दिलचस्प किस्से.

RK Laxman Birth Anniversary RK Laxman Birth Anniversary
हाइलाइट्स
  • जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला लेना चाहते थे आर. के. लक्ष्मण

  • आम आदमी की आवाज का लक्ष्मण का 'The Common Man'

अपने कार्टून्स से लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला देने वाले 'द कॉमन मैन' के निर्माता आर. के लक्ष्मण आज भले ही हमारे बीच न हो पर उनके बनाएं कार्टून्स हमेशा हमें हंसाते रहेंगे. उन्होंने अपने कार्टून्स से समाज के आम लोगों की आवाज उठाया था. अपने कार्टून्स के जरिए वो समाज की कमियों, राजनीतिक खामियों पर तीखा हमला किया करते थे. उनके कार्टून्स का सबसे चर्चित किरदार 'कॉमन मैन' था. जिसकी पहचान थी मुड़ी-चुड़ी धोती, चार खाना वाला कोट, सिर पर थोड़े से बाल और टेढ़ा चश्मा. 1985 में उनके कार्टून्स की प्रदर्शनी लंदन में लगाई गई थी.

दीवारों पर करते थे कलाकारी 
24 अक्तूबर 1921 को मैसूर के तमिल अय्यर परिवार में आर के लक्ष्मण का जन्म हुआ था. लक्ष्मण बचपन से ही दीवारों पर पेंसिल चलाया करते थे. वे छोटी उम्र से ही मैगजीन में कार्टून देखा करते थे तभी से उनकी दिलचस्पी कार्टून में हो गई. उन्होंने मुंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में एडमिशन के लिए आवेदन किया था. पर वहां डीन ने यह कह कर उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया था कि उनमें स्किल की कमी है. और कुछ साल बाद उसी संस्थान ने उन्हें खास इनविटेशन देकर स्पीच के लिए बुलाया. 

आम आदमी की आवाज बना 'कॉमन मैन' (फोटो- विकिपीडिया)

एडिटर से मतभेद के बाद छोड़ी थी नौकरी
आर. के लक्ष्मण ने अखबारों के लिए पॉलिटिकल कार्टून बनाना शुरू किया था. उन्होंने फिल्म 'नारद' के लिए कार्टून बनाए थे. लेकिन परमानेंट नौकरी नहीं मिली. लक्ष्मण अपने कार्टून पोस्ट-ऑफिस के जरिए भेजा करते थे. लेकिन आजादी की लड़ाई के दौरान ये सिलसिला भी बंद हो गया. एक बार वह कार्टून बनाकर 'स्वराज' के ऑफिस पहुंच गए. यहां उन्होंने पचास रुपए सैलरी पर काम किया. हालांकि, ज्यादा दिन यहां नहीं रहे. उसके बाद वह मुंबई गए और बतौर कार्टूनिस्ट फुल टाइम जॉब उन्हें फ्री प्रेस जर्नल में मिली. लेकिन यह नौकरी भी उन्होंने छोड़ दी क्योंकि यहां के सम्पादक अपने विचारधारा के हिसाब से उनसे कार्टून बनवाना चाहते थे. और आर.के लक्ष्मण को यह मंजूर नहीं था. 

सम्बंधित ख़बरें

अपनी परेशानी बताते थे लोग 
फ्री प्रेस जर्नल की नौकरी छोड़ने बाद आर. के लक्ष्मण उसी दिन अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' पहुंचे. वहां के आर्ट डायरेक्टर ने उनसे स्कैच बनवाने के बाद उन्हें नौकरी दे दी. टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ उन्होंने 50 साल से ज्यादा समय तक काम किया. यहीं, उन्हें आम लोगों से जुड़ने का मौका मिला. लोग उन्हें फोन या चिट्ठियों के जरिए अपनी रोजमर्रा की समस्याएं बताया करते थे. चाहे पानी की समस्या हो, या बिजली की, घूसखोरी की हो या लाइट खराब होने की, लोगों के लिए लक्ष्मण के कार्टून उनकी आवाज थे. और उनके कार्टून का सरकारों पर काफी प्रभाव पड़ता था. 

इंदिरा गांधी पर बनाए कई कार्टून (फोटो: X/@IWTKQuiz)

कार्टून देख नाराज हो गई थीं इंदिरा गांधी
1944 से लेकर 1964 तक का नेहरु युग का भारत आर. के लक्ष्मण के कार्टून्स में दिखता था. उसके बाद इंदिरा गांधी के दौर में भी उनका काम चलता रहा. इमरजेंसी में प्रेस की आजादी पर जो प्रतिबंध लगा था, उसपर उन्होंने कई कार्टून बनाए. यहां तक कि उन्होंने इंदिरा गांधी से मिल कर उनसे भी दो-टूक कहा था कि 'गलत कर रही हैं आप.' उन्होंने डी के बरूआ के वक्तव्य ' इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा' पर कार्टून बनाया था. जिस पर इंदिरा गांधी बेहद नाराज हुई थी. इंदिरा गांधी ने कहा था कि यह कार्टून बेहद ही अपमानजनक है, आपको ऐसे कार्टून नहीं बनाना चाहिए. इसके बाद लक्ष्मण मॉरिशस चले गए. इमरजेंसी हटने के बाद वे भारत लौटे और फिर से इंदिरा गांधी पर कार्टून बनाना जारी  रखा.

बाल ठाकरे उन्हें मानते थे अपना गुरु
शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे कार्टूनिस्ट आर.के लक्ष्मण को अपना गुरु और परम प्रिय मित्र मानते थे. वे दोनों अक्सर एक साथ बैठ कर कार्टून बनाया करते थे. दोनों ने कई सालों तक एक साथ काम किया. बाल ठाकरे ने अपने मरने से पहले आर.के लक्ष्मण से मिलने की इच्छा जताई थी. लेकिन उस वक्त आर. के लक्ष्मण की तबीयत ठीक न होने की वजह से उनकी मुलाकात उनसे नहीं हो सकी. हालांकि निधन से पहले बाबा साहब ने उनसे फोन पर बात की थी. 

आज भी पॉपुलर है 'कॉमन मैन' (फोटो: X/@IWTKQuiz)

जब रतन टाटा ने 'सॉरी' और 'थैंक्स'
साल 2009 में जब टाटा मोटर्स ने टाटा नैनो लॉन्च की तो इस पर आर.के लक्ष्मण ने एक कार्टून बनाया था. उस समय आईपीएस अफसर हरीश बैजल ट्रैफिक कंट्रोल ब्रांच में डिप्टी कमिश्नर थे. उन्होंने मीडिया को एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें नैनो गाड़ी के लॉन्चिंग इवेंट में बुलाया गया था. उसी दिन आर. के. लक्ष्मण का नैनो पर बनाया कार्टून भी सामने आया था. जब बैजल ने इस बारे में रतन टाटा से कहा तो उन्होंने तुरंत उन्हें 'सॉरी' कहा कि वे दिनभर की भागदौड़ नें कार्टून नहीं देख सके. बताया जाता है कि रतन टाटा ने कार्टून के लिए लक्ष्मण को 'थैंक यू' कहते हुए लेटर भी भेजा था. 

टाटा नैनो के लॉन्च पर आर.के लक्ष्मण ने जो कार्टून बनाया वह बहुत ही खास था. इसमें कॉमन मैन टाटा नैनो से उतर रहा है और हाइ-फाई होटल का पगड़ीधारी दरबान उसके लिए कार का दरवाजा खोल रहा है. यह कार्टून रतन टाटा को बहुत ही पसंद आया क्योंकि टाटा नैनो उन्होंने इसी मकसद से शुरू की थी कि वे आम आदमी तक गाड़ी पहुंचा सकें. उनकी इस सोच को लक्ष्मण ने तस्वीर दी. 26 जनवरी 2015 को 'कॉमन मैन' के 'सुपरमैन' ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और पीछे रह गई तो सिर्फ उनकी बेशकीमती विरासत.