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Explainer: 35 हजार पद और 1.25 करोड़ अभ्यर्थी: आखिर रेलवे भर्ती परीक्षा परिणाम को लेकर क्यों मचा है बवाल और क्या है इसकी पूरी प्रोसेस

रेलवे की तरफ से जो 35,281 पदों पर जो भर्तियां निकाली गई थी उसमें 24 हजार पद ग्रेजुएट और 11 हजार पद अंडर ग्रेजुएट के लिए थे. सभी को अलग लेवल में बांटा गया था. सभी के लिए अलग-अलग योग्यता और सैलेरी तय थी. लेकिन, उसमें यह नहीं लिखा था कि अधिक योग्यता वाले कम योग्यता वाली परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं. पूरा विवाद इसी को लेकर है.

रेलवे भर्ती बोर्ड की एनटीपीसी परीक्षा रिजल्ट को लेकर बवाल कर रहे छात्र रेलवे भर्ती बोर्ड की एनटीपीसी परीक्षा रिजल्ट को लेकर बवाल कर रहे छात्र

रेलवे भर्ती बोर्ड की एनटीपीसी परीक्षा रिजल्ट को लेकर बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक छात्रों का बवाल मचा है. रिजल्ट को लेकर सोमवार से बवाल जारी है और तीसरे दिन यानि बुधवार को भी छात्रों ने जमकर हंगामा किया. आक्रोशित अभ्यर्थियों ने कई जगह ट्रेनों में आग लगा दी और जमकर पत्थरबाजी की. दरअसल, ये पूरा विवाद क्या है और छात्रों इसको लेकर क्यों आंदोलनरत हैं और इसमें भर्ती को लेकर पूरा प्रोसेस क्या है, आइये समझते हैं.

35 हजार पदों पर निकाली थी भर्ती
सबसे पहले जानते हैं इसकी शुरुआत कहां से हुई. दरअसल, 2019 में रेलवे ने 35 हजार वैकेंसी की घोषणा की थी जिसकी परीक्षा सितंबर महीने में होने वाली थी लेकिन इसकी तारीख बढ़ाकर मार्च 2020 कर दी गई. कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया और इसकी तारीख आगे बढ़ गई. उसके बाद दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट(CTBT-1) परीक्षा हुई. इसमें एक करोड़ 25 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इस रिजल्ट की घोषणा 14 जनवरी 2022 को हुई.

दरअसल, रेलवे की तरफ से जो 35,281 पदों पर जो भर्तियां निकाली गई थी उसमें 24 हजार पद ग्रेजुएट और 11 हजार पद अंडर ग्रेजुएट के लिए थे. सभी को अलग लेवल में बांटा गया था. सभी के लिए अलग-अलग योग्यता और सैलेरी तय थी. लेकिन, उसमें यह नहीं लिखा था कि अधिक योग्यता वाले कम योग्यता वाली परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं. पूरा विवाद इसी को लेकर है.

अभ्यर्थियों का आरोप
जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए उनका कहना है कि ज्यादा क्वालिफिकेशन यानि ग्रेजुएट भी लेवल-2 की परीक्षा में शामिल हुए. अंडर ग्रेजएट के लिए जो रिजल्ट जारी हुआ उसमें ग्रेजुएट वालों का भी नाम है. ऐसे अभ्यर्थियों का कहना है कि ग्रेजुएट किए हुए अभ्यर्थी हमेशा उनसे ज्यादा काबिल होंगे और इस तरह अंडर ग्रेजुएट वालों को तो मौका मिलेगा ही नहीं.

ये है रेलवे का तर्क-
इस पूरे विवाद को लेकर रेलवे की तरफ से यह जानकारी दी गई कि पहले राउंड में 20 गुना ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जिनका क्वालिफिकेशन ज्यादा है उन्हें कम योग्यता वाली नौकरी के लिए परीक्षा में बैठने से कैसे रोक सकते हैं. मतलब ये कि जो अभ्यर्थी ग्रेजुएट हैं उन्हें अंडर ग्रेजुएट वाली परीक्षा में बैठने से कैसे रोका जा सकता है. रेलवे का कहना है कि ग्रेजुएट वालों को भी अंडर ग्रेजुएट वाली नौकरी के लिए इसलिए परीक्षा में बैठने की इजाजत दी गई ताकि कोई पद खाली नहीं रहे. जितने भी पद रेलवे की तरफ से निकाले गए हैं सभी फुल हो सके.