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Parliament Suspension Rules: किस नियम के तहत संसद से सस्पेंड होते हैं सांसद, क्या सस्पेंशन के बाद सांसदों को मिलती है सैलरी

Suspension of MPs in India: संसद का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान कई सांसदों जैसे संजय सिंह, डेरेक ओ ब्रायन और सुशील रिंकू को सस्पेंड किया गया है. चलिए आपको बताते हैं कि सांसदों को सस्पेंड करना का क्या प्रोसेस होता है और क्या सस्पेंड हुए सांसदों की सुविधाओं में भी कटौती होती है.

सदन से सासंदों के सस्पेंशन का क्या नियम है और क्या मिलने वाली सुविधाएं पर भी असर पड़ता है? सदन से सासंदों के सस्पेंशन का क्या नियम है और क्या मिलने वाली सुविधाएं पर भी असर पड़ता है?

संसद का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. सदन में हंगामा करने चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. इससे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और लोकसभा सांसद सुशील कुमार रिंकू को सस्पेंड किया गया है.

सांसदों को कौन करता है सस्पेंड-
संसद के सदनों में जानबूझकर हंगामा करने या कमेंट करने या किसा काम में बाधा पहुंचाने पर सांसदों को सस्पेंड किया जाता है. सांसदों को सस्पेंड करने का अधिकार लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में सभापति को होता है. सांसदों के खिलाफ रूल बुक के मुताबिक ही कार्रवाई हो सकती है.

सस्पेंशन का क्या है नियम-
संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में सस्पेंशन के लिए अलग-अलग नियम हैं. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

लोकसभा में सस्पेंशन का नियम-
संसद को चलाने के लिए एक रूल बुक है. इस बुक के रूल 373 के तहत लोकसभा स्पीकर सांसद को फौरन सदन से हटने का निर्देश दे सकते हैं. सांसद के खिलाफ सदन की कार्यवाही में बांधा पहुंचाने पर कार्रवाई हो सकती है. लोकसभा स्पीकर रूल 374 और रूल 374ए के तहत भी कार्रवाई कर सकते हैं.

374 के तहत एक्शन-
जिस सांसद ने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियम का उल्लंघन किया हो, उसके नाम का ऐलान लोकसभा स्पीकर कर सकते हैं. इसके साथ ही स्पीकर सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं. इसमें सांसद का नाम लेकर उसे सस्पेंड करने की बात कही जाती है. इसमें सस्पेंशन की अवधि का जिक्र है. सांसदों का सस्पेंशन अधिकतम सत्र के खत्म होने तक हो सकती है.

374ए के तहत एक्शन-
दिसंबर 2001 को रूल बुक में एक नया नियम जोड़ा गया. इसके तहत कोई सांसद स्पीकर के आसन के करीब आकर नारे लगाकर या अन्य तरह से काम में बाधा डालने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है. ऐसे सांसदों को 5 बैठक या सत्र की शेष अवधि (जो कम हो) के लिए सस्पेंड किया जाता है.

राज्यसभा में सस्पेंशन का नियम-
राज्यसभा में रूल 255 के तहत सभापति अमर्यादित व्यवहार करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. सभापति सांसद को फौरन सदन से बाहर जाने को कह सकते हैं. रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता हैं, जिसने नियमों की अनदेखी की हो. इसके बाद सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकता है. इसके बाद सांसद को अधिकतम चालू सत्र के लिए सस्पेंड किया जा सकता है.

कैसे खत्म हो सकता है सस्पेंशन-
राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के स्पीकर के पास सांसदों को सस्पेंड करने की शक्ति होती है. लेकिन अगर ये सांसदों के सस्पेंशन को रद्द करना चाहें, तो भी नहीं कर सकते हैं. सांसदों के सस्पेंशन को रद्द करने की शक्ति स्पीकर और सभापति के पास नहीं होती है. सस्पेंशन को रद्द करने की शक्ति सिर्फ सदन के पास होती है. सस्पेंशन रद्द करने के लिए सदन को एक प्रस्ताव लाना होता है. जिसके पास होने पर सस्पेंशन रद्द हो जाता है.

सस्पेंड सांसदों को मिलती है सैलरी?
सदन की कार्यवाही के दौरान सस्पेंड सांसदों को सैलरी मिलती है. सदस्य को दैनिक भत्ते का भुगतान तभी किया जाता है, जब वो लोकसभा/राज्यसभा सचिवालय में रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं. हालांकि काफी समय से 'काम नहीं तो वेतन नहीं' की मांग की जा रही है.

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