कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पत्नी सारा पायलट से अलग हो गए हैं. इसका खुलासा मंगलवार को पायलट ने नामांकन-पत्र के साथ दिए एफिडेविट में किया है. टोंक विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है, जो एफिडेविट सचिन पायलट ने दिया है उसमें पत्नी के नाम के आगे तलाकशुदा लिखा है. हलफनामे में सचिन पायलट ने अपने दोनों बेटों का नाम लिखा है. इससे साफ जाहिर होता है कि आरन और विहान दोनों सचिन पायलट के साथ रहेंगे.
2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने अपने चुनावी हलफनामे में सारा पायलट का भी जिक्र किया था और साथ ही उनकी संपत्ति का भी विवरण दिया था. इससे पहले भी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय दोनों के तलाक की अफवाहें उड़ी थी, लेकिन तब सचिन ने इसका खंडन किया था. साल 2018 में जब सचिन पायलट उप-मुख्यमंत्री बने थे, तो शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सारा अपने पिता फारूक अब्दुल्ला और दोनों बेटों के साथ शामिल हुईं थीं.
दोगुनी हुई सचिन की संपत्ति
चुनावी हलफनामे से पता चला है कि सचिन पायलट की संपत्ति पांच सालों में करीब दुगनी हो गई है. जहां साल 2018 के हलफनामे में सचिन ने अपनी संपत्ति 3.8 करोड़ बताई थी, तो वहीं इस साल यानी 2023 में बढ़कर करीब 7.5 करोड़ हो गई है.
बहुमत आने के बाद सीएम का नाम होगा तय
नामांकन दाखिल करने के बाद सचिन पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन और राहुल गांधी ने मुझसे कहा है कि पुरानी सभी बातों को भूल जाओ और सभी को माफ कर आगे बढ़ो. मैं अब इसी लाइन पर आगे बढ़ रहा हूं. यहां किसी का भी कोई गुट नहीं बना है. राजस्थान में सिर्फ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन का ही गुट है. सचिन पायलट से जब पूछा गया कि राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी पहले से मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं करती है. बहुमत आने के बाद हम तय करते हैं कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा?
पहली बार दौसा लोकसभा सीट से बने थे सांसद
सचिन पायलट पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट के पुत्र हैं. सचिन पायलट लंबे समय से राजनीति की दुनिया में हैं. साल 2004 में वो दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने थे. साल 2009 में उन्होंने अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था और केंद्रीय मंत्री भी बने थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था, लेकिन साल 2018 में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने उनकी जगह अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना था. पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन कुछ समय बाद ही गहलोत और पायलट के बीच की तनातनी सार्वजनिक हो गई. पायलट की कैबिनेट से भी छुट्टी कर दी गई थी. फिलहाल सचिन पायलट एक बार फिर से टोंक विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतर चुके हैं.
जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं सारा
सचिन पायलट की शादी जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा पायलट से हुई थी. सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन हैं.
शादी के लिए घरवालों से लड़ गए थे पायलट
सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला की प्रेम कहानी बिलकुल फिल्मी है. दिल्ली में स्कूली शिक्षा के बाद सचिन हायर एजुकेशन के लिए लंदन चले गए. जिस कॉलेज में सचिन पायलट ने दाखिला लिया. उसी कॉलेज में सारा पढ़ती थीं. साथ पढ़ने के दौरान सचिन और सारा की नजदीकियां बढ़ीं. दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे.
लंदन से भारत आने के बाद सचिन और सारा के प्यार की कहानी परिवार वालों को पता चली तो दोनों के परिवार वाले काफी नाराज हुए. परिवार वालों की नाराजगी के बावजूद सचिन और सारा दोनों ने एक दूसरे के होने की कसमें खाली. वे छिप-छिप कर मिलते रहे और उनका प्यार कायम रहा. परिवार वालों के विरोध के बावजूद वर्ष 2004 में सचिन और सारा ने शादी रचा ली थी.
इसलिए खफा थे दोनों के परिवार वाले
सचिन पायलट के हिंदू हैं और सारा के मुस्लिम धर्म से होने के कारण दोनों ही परिवार इस शादी के खिलाफ थे. शादी के बाद सचिन और सारा साथ रहने लगे. कुछ समय बाद सचिन का परिवार तो मान गया लेकिन सारा का परिवार लंबे समय तक खफा रहा. सारा ने अपने परिवार को साफ बता दिया कि वे अपना फैसला नहीं बदलेंगी. आखिर सारा के परिवार को भी बेटी के प्यार के आगे झुकना पड़ा.