समलैंगिक विवाह पर आज सुनवाई होनी है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीए एस नरसिम्हा इस मामले पर अपना फैसला सुनाएंगे. इसका समर्थन करने वाले लोग लंबे समय से मांग कर रहे थे कि सेम सेक्स मैरिज को भारत में भी मान्य किया जाए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था, लेकिन शादी की मान्यता नहीं मिली थी.
आज इस पर सुनवाई होनी है. इसमें समान-लिंग विवाहों को मान्यता देने के लिए उच्च न्यायालयों में लंबित पड़ी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की गई. पिछले साल 25 नवंबर को शीर्ष अदालत ने दो समलैंगिक जोड़ो द्वारा शादी के अपने अधिकार को लागू करने और विशेष अधिनियम के तहत शादी को पंजीकृत करने के लिए दो अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था .बता दें कि स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट और केरल हाईकोर्ट में 9 याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील ने बेंच को केरल हाईकोर्ट में दिए गए केंद्र के बयान के बारे में बताया कि वह सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए कदम उठा रहा है.
किन लोगों ने दायक की याचिका?
इनमें से एक याचिका पश्चिम बंगाल के सुप्रियो चक्रवर्ती और दिल्ली के अभय डांग ने दायर की है.दोनों लगभग 10 साल से एक साथ रह रहे हैं और दिसंबर 2021 में हैदराबाद में शादी कर चुके हैं. अब ये चाहते हैं कि उनकी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता दी जाए.दूसरी याचिका पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज की है, जो 17 साल से रिलेशनशिप में हैं. उनका दावा है कि वे दो बच्चों की परवरिश एक साथ कर रहे हैं, लेकिन कानूनी रूप से उनकी शादी पूरी नहीं हुई है. इसके चलते ऐसी स्थिति बन गई है, जहां वे अपने बच्चों के कानूनी तौर पर बच्चों के पेरेंट्स नहीं कहला सकते.
पत्नी का जेंडर स्पष्ट नहीं
वैसे तो भारतीय कानून के हिसाब से महिला और पुरुष के बीच ही शादी हो सकती है. लेकिन इसी कानून में सेम-सेक्स मैरिज को शामिल करने की बात कर रहे लोगों का तर्क है कि कानून में पत्नी की परिभाषा में उसका जेंडर स्पष्ट नहीं किया गया है. इस हिसाब से देखा जाए तो अगर पत्नी शब्द को कोर्ट जेंडर न्यूट्रल मानने की मांग को मंजूरी देता है तो इससे कपल के तौर पर रह रहे जोड़ों को और कई सारे अधिकार मिल जाएंगे. इससे समलैंगिकों के बीच शादी को ही कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी बल्कि उनके बीच प्रॉपर्टी के अधिकार, बच्चे को गोद लेने के अधिकार जैसे उलझे कानूनी सवाल भी साफ हो सकेंगे.
मान्यता देने वाला पहला देश बना नीदरलैंड
अब तक 33 देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिल चुकी है. साल 2001 में नीदरलैंड ऐसा करने वाला पहला देश बना. वहीं एशियाई देशों में केवल ताइवान ही ऐसा देश है जहां सेम सेक्स मैरिज लीगल है. अमेरिका में दिसंबर 2022 को सेम सेक्स मैरिज प्रोटेक्शन बिल पास किया गया था.
अर्जेंटीना | डेनमार्क |
ताइवान | फिनलैंड |
ब्रिटेन | फ्रांस |
अमेरिका | ऑस्ट्रेलिया |
ब्राजील | जर्मनी |
माल्टा | न्यूजीलैंड |
कनाडा | दक्षिण अफ्रीका |
क्यूबा | स्वीडन |
ये भी पढ़ें: