2013 में शुरू हुआ, दुनिया का पहला 24/7 संस्कृत रेडियो, दिव्यवाणी संस्कृत रेडियो, इस वर्ष अपनी दसवीं वर्षगांठ मना रहा है. इसके संस्थापक प्रोफेसर संपदानंद मिश्रा, पीएचडी (उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर और पांडिचेरी केंद्रीय विश्वविद्यालय से संस्कृत में) भाषा के समर्थक रहे हैं और प्राचीन भाषा को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय बनाना चाहते थे. मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह चाहते हैं कि संस्कृत सभी के लिए सुलभ हो.
विशेष रूप से, 160 से ज्यादा देशों के लोग इस रेडियो के प्रोग्राम्स से जुड़ रहे हैं. कई श्रोता यात्रा के दौरान संगीत सुनते हैं, और चलते-फिरते समय का सदुपयोग संस्कृत सीखने में करते हैं. बहुत से माता-पिता ने दिव्यवाणी के माध्यम से अपने बच्चों को संस्कृत सीखते देखकर खुशी व्यक्त की है.
सभ्यता की जड़ों को समझने की भाषा
मिश्रा के मुताबिक, संस्कृत "मानव चेतना को ऊपर उठाने की अद्वितीय क्षमता" वाली एक अनूठी भाषा है. संस्कृत हमारी सभ्यता की जड़ों को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन गई है. भारत के बच्चों को उनके शुरुआती वर्षों से ही संस्कृत का परिचय देने से वे हमारी समृद्ध विरासत के साथ जुड़ेंगे. यह भाषा एकाग्रता, स्मृति, तार्किक सोच, मूल विचार शक्ति और रचनात्मकता जैसी संज्ञानात्मक क्षमताओं के विकास में विशिष्ट योगदान देती है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत मन में और हमारी सामाजिक चेतना को आकार देने में संस्कृत का महत्व है.
दिव्यवाणी संस्कृत रेडियो संस्कृत संस्कृति और विरासत के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए विविध प्रकार के कार्यक्रम पेश करता है. इसमें दिन की शुरुआत भक्तिपूर्ण प्रार्थनाओं और मंत्रों के साथ होती है. यह मनमोहक कहानियों के माध्यम से सभी उम्र के दर्शकों, विशेषकर बच्चों, का मनोरंजन करता है. मिश्रा ने बताया कि दिव्यवाणी की म्यूजिकल टेपेस्ट्री में बहुत से गीत, कविता, खबरें, नाटक, हल्के-फुल्के चुटकुलों और हास्य कहानियां शामिल हैं.
सिर्फ मनोरंजन तक नहीं है सीमित
इसके अलावा, रेडियो की यह पहल महज मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है. मिश्रा ने कहा कि इसमें एजुकेशनल प्रोग्राम भी हैं. विशिष्ट त्योहारों के दौरान, दिव्यवाणी संस्कृत रेडियो अपने नियमित लाइनअप में उत्सव का स्पर्श जोड़ते हुए विशेष कार्यक्रम आयोजित करता है. उदाहरण के लिए, नवरात्रि के दौरान, श्रोता चंडी पाठ सुन सकते हैं, जबकि गीता जयंती में संपूर्ण भगवद गीता का पाठ किया जाता है. इसी तरह, राम नवमी रामायण पारायण को सामने लाती है, जो दर्शकों के लिए एक गतिशील और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सुनने का अनुभव बनाती है.
यह रेडियो मिश्रा की पहल है और उनके कामों में ऑडियो रिकॉर्डिंग और कंवर्जन से लेकर अपलोडिंग, शेड्यूलिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार शामिल है. उन्होंने कहा कि काम का बोझ काफी है, लेकिन संस्कृत को बढ़ावा देने का जुनून और श्रोताओं पर सकारात्मक प्रभाव से मिलने वाली संतुष्टि उन्हें इस पहल को जारी रखने की प्रेरणा देती है.
उनका मानना है कि संस्कृत में बदलाव की शक्ति है जो युवा पीढ़ी के जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे उनका हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ गहरा संबंध बन सकता है. जैसे-जैसे वह इस यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं, वह सभी पक्षों के सुझावों, प्रतिक्रिया और सहयोग का स्वागत करते हैं