मध्य प्रदेश का सांची शहर देश की पहली सोलर सिटी बनने जा रहा है. इस शहर में 3 मेगावाट का सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसके साथ ही कृषि जरूरतों को पूरा करने के लिए 5 मेगावाट का एक और सौर प्लांट लगाया जा रहा है. इस सोलर प्लांट से 25 साल तक बिजली मिलती रहेगी. जबकि खर्च सिर्फ 5 साल के बिजली बिल के बराबर होगा.
वर्ल्ड हेरिटेज साइट के पास प्लांट-
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के पास 5 हेक्टेयर जमीन पर 3 मेगावाट का प्लांट बनाया गया है. इस अभियान की शुरुआत 5 साल पहले तब की गई थी, जब नागौरी की पहाड़ी पर प्लांट लगाने का काम शुरू हुआ था. बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़कर पहाड़ी को समतल किया गाय और जिसपर प्लांट लगाने का काम किया गया.
5 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने की तैयारी-
सांची के पास गुलगांव है, जहां 5 हजार मेगावाट का सोलर प्लांट लगाया जा रहा है. सांची के प्लांट से शहरी इलाकों को बिजली मिलेगी तो गुलगांव से प्लांट से ग्रामीण इलाकों के घर रौशन होंगे.
25 सालों तक मिलेगी बिजली-
नागौरी पहाड़ी के सोलर प्लांट से उत्पन्न 3 मेगावाट की बिजली को 132/33 केबी सब स्टेशन तक पहुंचाया गया. इसके बाद इसे सांची के सब स्टेशन तक बिजली पहुंचाई गई और फिर उसे लोगों के घरों तक सप्लाई की जा रही है. एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को 3.6 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिलेगी. इसको लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. सोनल पैनल से बिजली 25 साल तक मिलेगी. जबकि इसके खर्च का भुगतान 5 सालों में बराबर हो जाएगा.
पैनल लगाने पर केंद्र सरकार से मिलेगी सब्सिडी-
एक किलोवाट क्षमता के और ऊर्जा पैनल लगाने के लिए 100 स्क्वायर फीट जगह की जरूरत होगी. योजना में 3 किलोवाट तक के सोलर प्लांट पर 40 फीसदी की सब्सिडी और 3 किलोवाट के बाद 10 किलोवाट तक 20 फीसदी की सब्सिडी केंद्र सरकार से मिलेगी. सोलर पैनल से उत्पादित बिजली का निर्यात भी किया जा सकता है.
लोगों को अपने घरों पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अब तक सांची में 26 लोगों के घरों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं. जबकि अभी भी कई लोगों के आवेदन पड़े हुए हैं.
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