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समंदर में भारत की ताकत और बढ़ी! देश को मिला पहला सर्वेक्षण पोत Sandhayak, जानिए इसकी खूबियां

यह युद्धपोत देश की समुद्री क्षमताओं में ईज़ाफा करेगा. क्योंकि ये पोत बंदरगाहों और हार्बर के पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी वाले हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चैनलों और मार्गों के निर्धारण में सक्षम होने के अलावा समुद्री सीमाओं का सर्वेक्षण करने और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए समुद्र संबंधी और भौगोलिक डेटा के संग्रह में भी कारगर है.

Sandhayak Sandhayak
हाइलाइट्स
  • जून 2021 में हटा दिए गए संध्याक से बड़ा है यह जहाज

  • 39 युद्धपोत का हो रहा निर्माण

भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत (लार्ज) प्रोजेक्ट में से पहला 'संध्याक' (Sandhayak) 05 दिसंबर, 2021 को कोलकाता में लॉन्च किया गया. इन वेसल्स को रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड ने डिजाइन और विकसित किया है. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड भारत में अग्रणी युद्धपोत निर्माण कंपनियों में से एक है. 'संध्याक' को हुगली नदी के जल के साथ अपना पहला संपर्क रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कराया. नौसेना की सामुद्रिक परंपरा के मुताबिक अजय भट्ट की पत्नी पुष्पा भट्ट ने अथर्ववेद से मंत्र जाप से जहाज का शुभारंभ किया.


देश का हर कोना होगा महफूज़

यह युद्धपोत देश की समुद्री क्षमताओं में ईज़ाफा करेगा. क्योंकि ये पोत बंदरगाहों और हार्बर के पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी वाले हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चैनलों और मार्गों के निर्धारण में सक्षम होने के अलावा समुद्री सीमाओं का सर्वेक्षण करने और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए समुद्र संबंधी और भौगोलिक डेटा के संग्रह में भी कारगर है. इन जहाजों को फिक्स्ड पिच प्रोपेलर के साथ संयुक्त दो समुद्री डीजल इंजनों से चलाया जाता है, और सर्वेक्षण के दौरान कम गति पर चलने के लिए बो और स्टर्न थ्रस्टर्स से लैश किया गया है. इसकी दूसरी खासियत ये है कि ये इमरजेंसी में लिमिटेड सुविधाओं के साथ काम करने में सक्षम है. इसके अलावा  खोजबीन एवं बचाव और आपदा राहत जैसी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे. एक यूटिलिटी हेलीकॉप्टर सहित इन जहाजों में वापसी के लिये एक हैंगर भी होगा.

39 युद्धपोत का हो रहा निर्माण
 
इन जहाजों को भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करने  के लिए जीआरएसई की डिजाइन टीम ने तैयार किया है. जिसकी कुल लागत 2435 करोड़ रुपये है.  इसमें लागत के हिसाब से 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामग्री है और इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन किया जाता है, जिससे देश के अंदर रोजगार और विशेषज्ञता पैदा होती है. जीआरएसई के प्रयासों की सराहना करते हुए रक्षा राज्य मंत्री ने कहा, जहाज का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' के तहत  ही मुमकिन हो पाया है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय नौसेना के लिए 39 युद्धपोत और पनडुब्बियां वर्तमान में देश के अलग-अलग शिपयार्ड में निर्माण के अलग अलग चरणों में हैं. अजय भट्ट ने प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स और एंटी-सबमरीन वारफेयर शेलो वाटर क्राफ्ट्स जैसी राष्ट्रीय महत्व की कई परियोजनाओं पर एक साथ काम करने के लिए भारतीय नौसेना और जीआरएसई की सराहना की.

समुद्री क्षेत्र में विकास को देगा नया आयाम

अजय भट्ट ने विश्वास व्यक्त किया कि समुद्री क्षेत्र में सतत विकास के लिए पहल और दृष्टि को पूरा करने के लिए पोत एक बड़ा योगदान होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि 'संध्याक' न केवल भारतीय जहाजों, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में  विदेशी राष्ट्रों के सुरक्षित नेविगेशन को सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा, "यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लंबे समय में हमारे देश के लिए व्यापार के अवसरों को खोलने और बढ़ावा देने में मदद करेगा". जीआरएसई द्वारा अपनाई गई निर्माण रणनीति के मुताबिक पहला जहाज जीआरएसई लिमिटेड में बनाया जा रहा है और बाकी तीन जहाजों के निर्माण की तैयारी मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली में की गई है.

 कोविड की चुनौतियों के बावजूद ये उपलब्धि गर्व की बात है - जीआरएसई अध्यक्ष

अपने संबोधन में जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रियर एडमिरल विपिन कुमार सक्सेना (सेवानिवृत्त) ने कहा, वर्तमान सर्वेक्षण जहाज नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस हैं और आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में देश की स्वदेशी निर्माण क्षमता की परिपक्वता का सबूत है.  उन्होंने कहा, यह उपलब्धि, कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद जीआरएसई की प्रतिबद्धता और क्षमता का प्रमाण है.