"लाइफ में सबसे बड़ा रिस्क होता है, कभी रिस्क ना लेना." बर्फी फिल्म का ये डायलॉग उस इन्वेस्टर पर एकदम सटीक बैठता है जिसने 17 साल की उम्र से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना शुरू किया, और अब 23 साल की उम्र में वो 100 करोड़ के मालिक हैं. स्टॉक मार्केट एक ऐसी दुनिया है, जहां रिस्क ही रिस्क है. हालांकि अगर आप रिस्क के साथ दिमाग का इस्तेमाल करेंगे, तो आपको इससे काफी फायदा हो सकता है. जिंदगी में रिस्क लेना कभी-कभी जरूरी भी होता है. रिस्क लेकर ही आप कभी-कभी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ जाते हैं. आज आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताएंगे जिसने अपने लाइफ में रिस्क लिया और आज वो बहुत कामयाब हैं.
23 साल की उम्र में 100 करोड़ के मालिक हैं संकर्ष
हैदराबाद के रहने वाले 23 साल के संकर्ष चंदा (Sankarsh Chanda) ने 17 साल की उम्र से ही शेयर बाजार में निवेश करना शुरू कर दिया था और आज उनकी कुल संपत्ति 100 करोड़ रुपये हो गई है. संकर्ष एक फिनटेक स्टार्टअप सावर्ट (Savart) के संस्थापक हैं, जो लोगों को स्टॉक, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड में निवेश करने में मदद करता है. उनकी कंपनी का पंजीकृत नाम स्वोबोधा इन्फिनिटी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड (Svobodha Infinity Investment Advisors Private Limited) है.
8 लाख रुपये से शुरू की थी कंपनी
शेयर बाजार के इस महारथी का हैदराबाद के गगन महल में 2,000 वर्ग फुट का ऑफिस है जहां 35 लोग काम करते हैं. उन्होंने 2017 में कॉलेज छोड़ कर 8 लाख रुपये के निवेश से सावर्ट की शुरुआत की थी. संकर्ष ग्रेटर नोएडा के बेनेट यूनिवर्सिटी में बी.टेक कंप्यूटर साइंस के दूसरे वर्ष में थे, जब उन्होंने पढ़ाई छोड़ने और पूरी तरह स्टॉक ट्रेडिंग पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया.
कक्षा 12वीं से कर रहे हैं स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट
उन्होंने हैदराबाद में स्लेट-द स्कूल से 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद 2016 में शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया था. उन्होंने 2,000 रुपये से शुरुआत की और अगले दो वर्षों में और अधिक पैसा लगाया. उनका निवेश तेजी से बढ़ने लगा और उन्होंने उस पैसे में से कुछ पैसे अपनी कंपनी शुरू करने के लिए ले लिए. "मैंने दो साल की अवधि में लगभग 1.5 लाख रुपये का निवेश किया. मेरे शेयरों का बाजार मूल्य दो साल में करीब 13 लाख रुपये हो गया था.'
14 साल की उम्र में जागी थी स्टॉक मार्केट में रुचि
उन्होंने 2017 में अपनी कंपनी शुरू करने के लिए 8 लाख रुपये के शेयर बेचे. उन्होंने बाकी पैसा बाजार में रखा और अपनी कमाई से अपने स्टार्टअप के जरिए निवेश करना जारी रखा. एक मीडिया इंटरव्यू में संकर्ष ने बताया कि, "मेरी कुल संपत्ति अब 100 करोड़ रुपये है. यह सिर्फ मेरा शेयर बाजार का निवेश नहीं है, बल्कि मेरी कंपनी के मूल्यांकन पर भी आधारित है." दरअसल संकर्ष ने 14 साल की उम्र में अमेरिकी अर्थशास्त्री बेंजामिन ग्राहम के एक लेख को पढ़ने के बाद शेयर बाजार में रुचि विकसित की थी. बेंजामिन ग्राहम को 'मूल्य निवेश के पिता' के रूप में जाना जाता है.
पैसे के प्रति मानवीय व्यवहार पर किया शोध
संकर्ष को पढ़ना काफी पसंद है, और बेंजामिन ग्राहम को पढ़ने के बाद उनका इंटरेस्ट और बढ़ गया. फिर उन्होंने पैसे के प्रति मानवीय व्यवहार के बारे में जानना शुरू किया. वो कहते हैं, "जितना अधिक मैंने पैसे और निवेश के बारे में पढ़ा, उतना ही मेरा इंटरेस्ट बढ़ा और इसलिए मेरा प्रयोग निवेश के साथ शुरू हुआ." मैंने लाइब्रेरी और लोगों से किताबें उधार लेना शुरू किया, क्योंकि अगर मैं उन्हें खरीदना शुरू करता तो मुझे किताबें रखने के लिए दो से तीन कमरों की जरूरत पड़ती." 2016 में संकर्ष ने फाइनेंशियल निरवाना नाम की एक किताब प्रकाशित की थी, जिसमें उन्होंने व्यापार और निवेश के बीच के अंतर बताया है, और निवेश में विविधता लाने और बाजार को समझने के लिए सुझाव दिए हैं.
विदेश जाना चाहते थे संकर्ष
दरअसल शुरू से संकर्ष का प्लान कुछ और था. पहले उन्होंने पढ़ाई के लिए विदेश जाने की योजना बनाई थी, लेकिन फिर उन्होंने अपना मन बदल लिया और बेनेट विश्वविद्यालय में बीटेक कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया, जहां उन्होंने पैसे के प्रति मानवीय दृष्टिकोण पर अपना शोध करना शुरू किया. संकर्ष कहते हैं, "मैंने छह महीने से ज्यादा समय तक निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों, अमीर लोगों और उद्यमियों से बात करके एक सर्वेक्षण शुरू किया, ताकि यह पता चल सके कि वे जीवन में प्राथमिकता पर क्या रखते हैं."
कॉलेज में ही शुरू थी रिसर्च
संकर्ष बताते हैं कि, "विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के बाहरी इलाके में स्थित है, इसलिए मैं कई ग्रामीणों के संपर्क में आया. मैंने करीब 2000 लोगों से बात की. विश्वविद्यालय में अपने मेंटर के माध्यम से, मैं पैसे के प्रति उनके व्यवहार को समझने के लिए सफल व्यवसायियों और उद्यमियों से जुड़ा." उनका कहना है कि उनके सर्वेक्षण के निष्कर्ष काफी आश्चर्यजनक थे, जिन युवाओं पर उन्होंने शोध किया उनमें से लगभग सभी ने कहा कि पैसा उनके लिए बेहद जरूरी है. हालांकि संकर्ष को किसी और जवाब की उम्मीद थी. वो कहते हैं, "मैंने सोचा था कि लोग कहेंगे कि उनका जुनून और खुशी है उनके लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन जब मैंने इस विषय पर गहराई से विचार किया, तो मैंने पाया कि लोग सोचते हैं कि अगर उनके पास पैसा है तो वो कोई भी चीज खरीद सकते हैं जो उन्हें खुश रखे. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है."
संकर्ष का परिवार भी कर रहा बिजनेस में मदद
संकर्ष अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही समझदार है. यही वजह है कि संकर्ष ने इतनी कम उम्र में इतना कुछ हासिल कर लिया है. फिलहाल संकर्ष अपने माता-पिता के साथ हैदराबाद के हिमायत नगर स्थित 2 बीएचके अपार्टमेंट में रहते हैं. उनके पिता, चंद्रशेखर चंदा, एक छोटी आईटी कंपनी लाते थे, लेकिन अब वे सावर्ट में फाइनेंस संभाल रहे हैं. उनकी बड़ी बहन तरुणी चंदा अमेरिका में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उनकी मां संगीता चंदा, कॉन्टेंट राइटिंग करती हैं, वह भी संकर्ष के बिजनेस में उनकी मदद कर रही हैं.