एक जुलाई से राजधानी दिल्ली में 19 तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया जाएगा. प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही खतरनाक है. कहा जाता है कि प्लास्टिक फेक दिए जाने के बाद भी कई सालों तक डिकंपोज नहीं होती है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कीड़ा ढूंढ़ निकाला है जो प्लास्टिक को गलाने में हमारी मदद कर सकता है. जी हां, ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ज़ोफोबास मोरियो (Zophobas morio) नाम का एक कीड़ा खोज निकाला है, जिसे आमतौर पर सुपरवर्म (Superworm) कहते हैं. यह सुपरवार्म पॉलीस्टाइनिन (polystyrene) के आहार पर जीवित रह सकता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बीटल लार्वा प्लास्टिक को गट एंजाइम (gut enzyme)के माध्यम से पचाते हैं, जोकि प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग में महत्वपूर्ण हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ क्रिस रिंके ने कहा,"सुपरवर्म मिनी रीसाइक्लिंग प्लांट की तरह हैं, जो पॉलीस्टाइनिन को अपने मुंह से काटते हैं और फिर इसे अपने आंत में बैक्टीरिया को खिलाते हैं."
प्लास्टिक खाता है ये कीड़ा
अध्ययन के दौरान क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (University of Queensland) की टीम ने कीड़ों का एक कंट्रोल ग्रुप बनाया. तीन सप्ताह तक सुपरवर्म के इन तीन समूहों को अलग-अलग आहार दिए. इनमें से एक ग्रुप को कुछ नहीं, दूसरे को चोकर और तीसरे को प्लास्टिक खिलाया गया. तीन सप्ताह बाद उन्हें पॉलीस्टाइनिन खाने वाले सुपरवर्म का वजन बढ़ा हुआ मिला.
प्रदूषण को कम करने में करेगा मदद
आसान भाषा में कहें तो ये कीड़े प्लास्टिक को तोड़ने में हमारी मदद कर सकते हैं. इससे प्लास्टिक को बायोडिग्रेड करने में लगने वाला समय कम हो जाएगा और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी. कीड़े इंसानों द्वारा नदियों और समुद्र में फेंके गए कई टन प्लास्टिक को डिकंपोज करने में हमारी मदद कर सकते हैं. वैज्ञानिकों को इन सुपरवर्म से काफी उम्मीद है. सुपरवर्म कीड़े को पक्षी और रेंगने वाले जीव खाते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक इस पर अभी और रिसर्च करना बाकी है कि ये कीड़े प्लास्टिक को रीसाइकल करने में हमारी कितनी मदद कर सकते हैं. वैज्ञानिको के पास सुपरवर्म के पेट में एन्कोड किए गए सभी एंटाइमों की एक लिस्ट है जिसपर शोध जारी है.