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ISRO में साइंटिस्ट, 4 बार UPSC क्लियर किया, लेकिन नहीं मिली नौकरी... जानिए दिव्यांग Kartik Kansal की कहानी

उत्तराखंड के कार्तिक कंसल ने आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. चार बार यूपीएससी की परीक्षा पास की लेकिन उन्हें कोई सर्विस नहीं मिली. आखिर क्यों ? चलिए पूरी कहानी जानते हैं.

Kartik Kansal Kartik Kansal

भारत ही नहीं दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की परीक्षा पास करना लाखों छात्रों का सपना होता है. एक बार परीक्षा पास कर लिए और इंटरव्यू निकाल लिए तो अधिकारी बनना तय माना जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दिव्यांग कार्तिक कंसल ने चार बार यूपीएससी की परीक्षा पास की बावजूद इसके कोई सर्विस नहीं मिली. एक तरफ महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर फर्जी दस्तावेजों से सिलेक्शन पाने का आरोप है और वह लगातार चर्चा में हैं तो वहीं दूसरी तरफ कार्तिक कंसल का नाम भी इन दिनों चर्चा में है. आखिर कार्तिक कंसल हैं कौन और उन्हें नौकरी क्यों नहीं मिली. चलिए जानते हैं.

कौन हैं कार्तिक कंसल ?

कार्तिक कंसल के नाम एक नहीं कई उपलब्धियां है. वह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित जरूर हैं लेकिन जिस तरह से उन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है वह लाखों करोड़ों छात्रों के लिए मिसाल है. उन्होंने आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तरफ अपना रुख किया और एक या दो बार नहीं बल्कि चार-चार बार दुनिया की कठिनतम परीक्षाओं में से एक को क्रैक किया. 2019 में 813 वां, 2021 में 271 वां, 2022 में 784 वां और 2023 में 829 वां रैंक हासिल किया.

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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं कार्तिक

कार्तिक कंसल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. 8 साल की उम्र में उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला. बता दें कि इस बीमारी में मांसपेशियों की गतिशीलता समय के साथ कम होती जाती है और कमजोर होने लगती है. मरीजों को चलने और हाथ से कोई काम करने में दिक्कत होने लगती है और ये समस्या धीरे-धीरे गंभीर होती चली जाती है. कार्तिक 14 साल की उम्र से ही व्हीलचेयर पर हैं. और इस समस्या के साथ उन्होंने आईआईटी और यूपीएससी की परीक्षा का सफर तय किया. बता दें कि फिलहाल वह इसरो में साइंटिस्ट हैं.

वैकेंसी थी लेकिन नहीं मिली नौकरी

2019 की परीक्षा में कार्तिक कंसल ने 813वां रैंक हासिल किया. इस साल लोकोमोटर डिसेबिलिटी (चलने-फिरने में अक्षमता) में 15 वैकेंसी थी. 14 पद भरे गए और एक खाली ही रह गए. एक पद रिक्त होने के बावजूद उन्हें सर्विस नहीं मिली. 

2021 में उन्होंने सामान्य कैंडिडेट के तौर पर परीक्षा पास की थी. उनका रैंक 271 आया था, ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें आईएएस मिलेगा. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 नोटिफिकेशन के अनुसार कुल 712 रिक्तियों में से 22 रिक्तियां पीडब्ल्यूबीडी उम्मीदवारों के लिए निर्धारित की गई थी. इनमें सेरेब्रल पाल्सी, एसिड अटैक सर्वाइवर और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसे लोकोमोटर विकलांगता के लिए 6 पद शामिल थे. बावजूद  उन्हें कोई सेवा आवंटित नहीं की गई. जबकि इसी साल  272 और 273 रैंक वाले को आईएएस मिला था.

कारण क्या था ?

2021 में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित उम्मीदवार आईएएस के लिए पात्र नहीं थे. क्योंकि यूपीएससी ने शर्तों में शामिल नहीं किया था. हालांकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम एंड एक्साइज) और भारतीय राजस्व सेवा (इनकम टैक्स) ग्रुप ए के लिए पात्र उम्मीदवारों की सेवा शर्तों में आयोग ने शामिल किया था. इन शर्तों के अनुसार कार्तिक आईएएस के लिए भले योग्य नहीं थे लेकिन भारतीय राजस्व सेवा के लिए योग्य थे. ध्यान देने वाली बात ये कि कार्तिक ने भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम एंड एक्साइज, इनकम टैक्स) दोनों को अपनी वरीयता में दूसरे और तीसरे नंबर पर रखा था लेकिन उन्हें कोई सर्विस नहीं मिली.

एम्स ने कार्तिक मामले में क्या कहा ?

एम्स मेडिकल बोर्ड ने कार्तिक को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित और दिव्यांगता का स्तर 90% बताया जबकि उनके मूल दिव्यांगता प्रमाणपत्र में उनकी दिव्यांगता का स्तर 60% बताया गया था. हालांकि बोर्ड ने ये भी कहा था कि वह लिख-पढ़ सकते हैं, सुन-बोल सकते हैं, देख सकते हैं और लोगों से संवाद कर सकते हैं. ये आईआरएस में चयन होने के लिए काफी था. मेडिकल बोर्ड ने इसके साथ ये भी कहा कि वह चल नहीं सकते, उठा नहीं सकते, झुक नहीं सकते हैं. गौर करने वाली बात ये कि आईएएस के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित को अयोग्य माना जाता है लेकिन हाथ और पैर से प्रभावित को योग्य माना जाता है.

केंद्रीय पोर्टल से मिला ये जवाब

आईएएस और आईआरएस की नौकरी के लिए योग्य होने के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर कार्तिक ने केंद्रीय शिकायत निवारण पोर्टल से इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें जवाब मिला कि 'आपके समय में आपकी रैंक के अनुसार कोई सेवाएं नहीं थीं' 

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने उठाए सवाल

अब कार्तिक के मामले को रिटायर्ड आईएएस अधिकारी संजीव गुप्ता ने उठाया है. इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आईएएस के लिए सेरेब्रल पाल्सी वाले उम्मीदवार योग्य हैं तो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वाले क्यों नहीं ? उन्होंने आगे कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित होने के बाद भी कार्तिक ने परीक्षा लिखने के लिए किसी की मदद नहीं ली और वे सभी शारीरिक योग्यताओं को भी पूरा करते हैं. बावजूद इसके उन्हें सर्विस से वंचित रखा गया.  2024 के मानदंडों के अनुसार अब वह आईएएस के लिए भी योग्य हो गए हैं.

कार्तिक का क्या कहना है ?

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने कहा कि वे यानी कार्तिक किसी भी सेवा के लिए आवश्यक शारीरिक मानकों को पूरा नहीं करते हैं. हालांकि यह मामला अभी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में पेंडिंग है. कार्तिक न्याय देने और सर्विस की मांग कर रहे हैं.  टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिविल सेवाओं में शामिल होकर मैं यह साबित करना चाहता था कि मेरे जैसे लोग भी ऐसा कर सकते हैं. हालांकि मैं इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि यह मामला विचाराधीन है.