नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले पूवर्ती गांव में सुरक्षाबलों ने सफलतापूर्वक कैंप स्थापित कर दिया है. मोर्चे पर तैनात जवानों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. ये इलाका पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन का है. हार्डकोर नक्सली हिड़मा जो कि 27 से अधिक हमलों में शामिल रहा है, वह इसी गांव का निवासी है. बटालियन कमांडर देवा सहित 100 से अधिक लोग इसी गांव से निकल कर नक्सली संगठन में मौजूद हैं. टेकेलगुड़ा में कैंप स्थापित करने के बाद महज 15 दिन बाद पूवर्ती गांव में कैंप स्थापित किया गया.
एसपी किरण चव्हाण, डीआईजी सीआरपीएफ अरविंद राय सहित एसटीएफ, डीआरजी, सीआरपीएफ, कोबरा सहित 1000 से अधिक जवान कैंप में मौजूद हैं.
टेक्टिकल हेडक्वार्टर बनाया जा रहा है
पूवर्ती में कैंप स्थापित करने के बाद इसे टेक्टिकल हेडक्वार्टर बनाया जा रहा है. आने वाले दिनों में यहीं से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज किए जाएंगे. पूवर्ती गांव में नक्सली स्मारक बना हुआ है, जिसे सुरक्षाबलों ने ध्वस्त किया था. साथ ही यहां पर नक्सलियों ने भी वार जोन बनाया था. यहां रुककर नक्सली, सुरक्षाबलों के खिलाफ प्लान तैयार करते थे. साथ ही यहां पर नक्सलियों ने खेती तक कर रखी थी, जिसमें वो अपनी बटालियन के लिए सब्जी, फल व अन्य सामग्री की पैदावार करते थे. लेकिन अब यह इलाका पूरी तरह से सुरक्षाबलों के कब्जे में हैं.
फैहराया गया तिरंगा
इस अघोषित राजधानी पूवर्ती गांव में सुरक्षा बलों ने युद्ध स्तर पर कैंप की स्थापना की, इसके बाद आजादी के 75 साल बाद वहां तिरंगा फहराया गया. पिछले 48 से घंटे से सुरक्षा बल के जवान इस इलाके में डेरा जमाए हुए हैं. इन 48 घंटे में सात बार जवानों का सामना नक्सलियों से हुआ है और जवाबी कार्यवाही में नक्सली वापस लौट गए हैं. इतना ही नहीं सुरक्षा बलों ने पूवर्ती गांव को छावनी में तब्दील कर दिया है और नक्सली कमांडर हिड़मा के घर पर लगातार निगरानी बनाई गई है.
बता दें, बीते दिनों छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा सिलगेर के दौरे पर थे, जहां विजय शर्मा ने यह स्पष्ट कर दिया कि नक्सली आत्मसमर्पण कर दें या फिर आमने-सामने की लड़ाई के लिए तैयार रहें.
(धर्मेन्द्र सिंह की रिपोर्ट)