दीवाली का त्योहार अपने साथ खुशियां और पॉजिटिविटी लेकर आता है. लेकिन इसके साथ-साथ पटाखों के कारण इतना ज्यादा प्रदूषण हो जाता है कि लोगों की सांस घुटने लगती है. इस घुटन से बचने के लिए ही दीवाली से पहले लोगों से अपील की जाती है कि वे केमिकल वाले पटाखे जलाने से बचें. और अब सीड गणेश, होली के ऑर्गनिक रंग और पर्यावरण-अनुकूल राखियों के बाद, बाजार में अब प्लांटेबल पटाखों ने भी एंट्री ली है.
इन नए, सस्टेनेबल पटाखों में फ़्लोपॉट, चकरी, रॉकेट, फुलझड़ियाँ और बम शामिल हैं, जो सल्फर और फास्फोरस जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग करने की बजाय, अलग-अलग बीजों से बने होते हैं. अलग-अलग पटाखों में अलग-अलग बीज होते हैं, जैसे, चकरी में 12-15 चिया बीज होंगे, जबकि फुलझड़ी में तुलसी के, रॉकेट से गेंदे के बीज निकलेंगे और लक्ष्मी बम में टमाटर के बीज होंगे. बताया जा रहा है कि ये सभी पटाखे चार से छह सप्ताह में अंकुरित हो जाते हैं और उनके अंकुरण की संभावना 70-75 प्रतिशत होती है, अगर नियमित रूप से देखभाल की जाए.
यह कंपनी बना रही है सस्टेनेबल पटाखे
इन सभी सस्टेनेबल पटाखों को अखबार या रिसायकल्ड पेपर का उपयोग करके बनाया जाता है. प्लांटेबल पटाखे बेचने वाले सीड पेपर इंडिया के संस्थापक रोशन रे ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि इन पटाखों के बारे में अभी भी जागरूकता लाने की की जरूरत है, क्योंकि केवल जागरूक व्यक्ति ही इन विकल्पों पर विचार करेंगे. सीज़न के दौरान बहुत सारे लोगों और जानवरों की पटाखों से घायल होने की खबरें आती हैं.
ऐसे में प्लांटेबल पटाखे अच्छा विकल्प हैं, अब तक हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. हमने 3,000 से ज्यादा प्लांटेबल लक्ष्मी बम, रॉकेट और बहुत कुछ बेचा है. उन्होंने कहा कि ग्राहक इन्हें अपने दिवाली हैम्पर्स में शामिल करने के लिए भी खरीद रहे हैं. प्लांटेबल पटाखे आसानी से कूरियर के माध्यम से भेजे जा सकते हैं क्योंकि इसमें कोई बारूद नहीं होता है, और यह एक शानदार फेस्टिव गिफ्ट हैं.