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UP Election 2022: आईएएस बनने दिल्ली आई थी सीमा कुशवाहा, ''निर्भया'' ने बना दिया वकील! अब थामा बसपा का दामन

सीमा ने कानपुर यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है. वहां पर सीमा की पढ़ाई का खर्चा सीमा की दीदी और जीजाजी उठाने लगे. बाद में सीमा ने वहां एक लोकल मैगजीन में पार्ट-टाइम जॉब करके पैसों का जुगाड़ किया औकर अपनी पढ़ाई का खर्च भी उठाया . सीमा बचपन से झांसी की रानी, किरण बेदी इन सबके बारे में पढ़ती थी और उनके जैसा ही बनने का सोचती थी.

सीमा कुशवाहा ने बसपा का दामन थाम लिया है. सीमा कुशवाहा ने बसपा का दामन थाम लिया है.
हाइलाइट्स
  • सीमा कुशवाहा ने बसपा का दामन थाम लिया है.

  • सीमा ने 2012 निर्भया गैंगरेप पीड़िता का केस लड़ा था .

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले चरण कि शुरुआत 10 फरवरी से हो जाएगी, ऐसे में कई चर्चित चेहरे अलग राजनैतिक पार्टियों का दामन थाम रहे हैं. इन्हीं सबके बीच निर्भया कांड मामले में पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने वाली मशहूर वकील सीमा कुशवाहा ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने सीमा कुशवाहा की जॉइनिंग करवाई.

सीमा कुशवाहा ने बताया कि, वह उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की नीतियों और  विचारों से प्रभावित थी, जिसके चलते सीमा ने बसपा का दामन थामा है. सीमा कुशवाहा ने बताया कि, वह बहुजन समाज पार्टी से जुड़कर पार्टी को आगे बढ़ाएंगी और मायावती को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लेंगी. हालांकि सीमा कुशवाहा बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी या नहीं अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन ये तय है कि  वह अब पार्टी में एक्टिव रहेंगी और पार्टी के काम को आगे बढ़ाएंगी. बसपा में शामिल होने के मौके पर सीमा कुशवाहा ने कहा कि वह मजबूर और गरीब लोगों को न्याय दिलाने के लिए फ्री में केस लड़ती हैं. यही काम बसपा अध्यक्ष मायावती भी करती आई हैं. बसपा शासनकाल में उन्होंने जिस तरह कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया था, वह एक नजीर बनी है. मायावती से प्रभावित होकर मैंने बसपा ज्वाइन की है.

सीमा कुशवाहा 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप मामले में पीड़िता का केस लड़ कर चर्चा में आयी थीं. सीमा सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. जिस समय निर्भया कांड हुआ, उस वक्त सीमा कोर्ट में ट्रेनिंग कर रही थीं. उन्हें जैसे ही इस मामले का पता चला, उन्होंने बिना एक भी रुपये लिए केस लड़ने का फैसला किया. उनकी डगर आसान नहीं थी, लेकिन मुश्किल भी नहीं थी. सीमा ने निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों को फांसी तक पहुंचाने के लिए सात साल तक लगातार लड़ाई लड़ी. हालांकि सीमा 2014 में साकेत कोर्ट से चार दोषियों को मौत की सजा दिलाने में कामयाब रहीं. इसके बाद 2014 में मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा और फिर 2020 में सुप्रीम कोर्ट, लेकिन दोनों जगह उन्होंने दोषियों को फांसी की सजा दिलाने में कामयाब रहीं..

सीमा कुशवाहा कौन हैं

सीमा कुशवाहा ने हाथरस गैंगरेप हत्याकांड पीड़िता का भी केस लड़ा था. वह रेप पीड़िताओं के लिए फ्री में न्याय दिलाने की मुहिम भी चलाती हैं. सीमा का जन्म 10 जनवरी 1982 को इटावा में हुआ था. उनका पूरा नाम सीमा समृद्धि कुशवाहा है. सीमा इटावा की ग्राम पंचायत बिधिपुर ब्लॉक महेवा के उग्रपुर गांव की निवासी हैं. उनके पिता का नाम बलदीन कुशवाहा और माता का नाम रामकुआरी है. उनके पिता ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं.

सीमा कुशवाहा ने 2013 में निर्भया का मामला उठाकर अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके पहले वो कोर्ट में कोई भी केस नहीं लड़ी थीं. निर्भया केस सीमा के करियर का पहला केस था. सीमा का सपना आईएएस बनने का था. उन्होंने इसके लिए भरपूर तैयारी भी की, लेकिन किस्मत में उनके कुछ और ही लिखा था. आज वह देश की जानी मानी वकील हैं.

वकालत की पढ़ाई के लिए बुआ के गहने  बेच दिये थे

 सीमा का मन बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में  लगता था.  हांलाकि सीमा एक छोटे गांव से ताल्लुक रखती हैं, गांव में आठवीं तक की पढ़ाई तो अच्छे से हो गई, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना था. ऐसे में घरवाले बेटी की सुरक्षा को लेकर परेशान हो उठे .घर वाले सीमा की आगे की पढ़ाई रोकने वाले थे, तभी पिता ने अपने 8-10 दोस्तों के साथ मीटिंग की.  इस बैठक में फैसला हुआ कि सीमा को आगे पढ़ने दिया जाएगा. आगे चल कर सीमा की पढ़ाई में पैसे की कमी भी आई, तब सीमा ने अपनी बुआ की दी हुई  सोने के कान के और पायल बेच डाली थी , बाद में सीमा ने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया जिससे वो अपनी पढ़ाई का खर्चा उठा सकें. 

वकालत की पढ़ाई के लिए पार्ट-टाइम जॉब करके कमाए पैसे 

सीमा ने कानपुर यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है. वहां पर सीमा की पढ़ाई का खर्चा सीमा की दीदी और जीजाजी उठाने  लगे. बाद में सीमा ने  वहां एक लोकल मैगजीन में पार्ट-टाइम जॉब करके पैसों का जुगाड़ किया औकर अपनी पढ़ाई का खर्च भी उठाया . सीमा बचपन से झांसी की रानी, किरण बेदी इन सबके बारे में पढ़ती थी और उनके जैसा ही बनने का सोचती थी. 

दिल्ली IAS बनने आई थी, लेकिन " निर्भया" ने फैसला बदल डाला 

सीमा 2011 से दिल्ली में रह रही हैं. सीमा कानपुर से वकालत की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली  IAS बनने आई थीं.  दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद सीमा हजारों लोगों के साथ  दिल्ली की सड़कों पर, इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन के सामने निर्भया के लिए धरने पर बैठीं,  सीमा निर्भया के इंसाफ के लिए आंदोलन में शुरू से आखिरी तक शामिल रहीं. जनवरी 2013 में जब साकेत कोर्ट में पहली बार इस मामले में चार्जशीट दाखिल हुई, तब निर्भया के परिवार से संपर्क में आईं. 2014 में कानूनी तौर पर इस केस से जुड़ गई.