कर्नाटक के स्व-सहायता समूहों की 18 हजार महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी. ये ट्रेनिंग महात्मा गांधी ग्रामीण ऊर्जा एवं विकास संस्थान (MGIRED), ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग और ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता विभाग तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) मिलकर देंगे. जैसे ग्रामीण इलाकों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सौर ऊर्जा उपयोगिता.
ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को गावों में सोलर एनर्जी का उपयोग और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी चीजें सिखाई जाएंगी. इन महिलाओं को उनकी स्थानीय ग्राम पंचायतें ‘स्वच्छ कर्मिकाओं’ के रूप में रखेंगी. जहां इनके द्वारा विभिन्न दैनिक कार्य किये जायेंगे.
पांच दिन की होगी क्लास रूम ट्रेनिंग
ये कार्यक्रम पांच दिन तक चलेगा जिसमें क्लासरूम ट्रेनिंग दी जाएगी और उसके बाद सभी को अलग-अलग जगहों पर, यानि फील्ड पर सीखने के लिए ले जाया जायेगा. इस कार्यक्रम का मकसद स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाना और आर्थिक तौर पर मदद करना है.
पहुंचाया जायेगा सभी जिलों तक
ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता विभाग के डायरेक्टर परमेश्वर हेगड़े कहते हैं, “क्लासरूम ट्रेनिंग को कर्नाटक के सभी 30 जिलों में चलाया जायेगा. इससे 18 हजार ग्रामीण महिलाओं को सीधे फायदा पहुंचेगा और उन्हें पैसे कमाने में मदद के साथ एक आय का वैकल्पिक स्रोत मिलेगा. यह फ्री प्रोग्राम होगा जिसमें कर्नाटक की हर ग्राम पंचायत से तीन-तीन महिलाओं को चुना जायेगा. सभी महिलाओं को रहने और यात्रा की सुविधा दी जायेगी. इस साल 600 बैच हैं और हर बैच में 30-30 महिलायें हैं. हर बैच का खर्च 70 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक है.”
किस विषय में दी जाएगी ट्रेनिंग?
महिलाओं को रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, गीले कचरे के निपटान के लिए विभिन्न तकनीकें, बायोडिग्रेडेबल वेस्ट को बायो-गैस में बदलना जैसे विषयों में ट्रेनिंग दी जाएगी. ये सारे काम उन्हें प्रैक्टिकल तौर पर सिखाये जाएंगे.
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