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Sharmistha Mukherjee Book: नेहरू, नोटबंदी और इंदिरा... इन मुद्दों पर PM Modi को लेकर क्या थी Pranab Mukherjee की सोच, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब में खोले हैं ये राज

बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब 'Pranab, My Father – A Daughter Remembers' में प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी के रिश्तों का भी जिक्र किया है. किताब के मुताबिक प्रणब मुखर्जी मानते थे कि नरेंद्र मोदी शासन कला के प्रति एक प्रोफेशनल नजरिया रखते हैं. वो ये भी मानते थे कि पीएम मोदी में लोगों की नब्ज समझने की जबरदस्त क्षमता है. हालांकि मोदी सरकार में इतिहास के डी-नेहरूफिकेशन से प्रणब मुखर्जी निराश थे.

PM Modi and former President Pranab Mukherjee (File Photo) PM Modi and former President Pranab Mukherjee (File Photo)

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 'प्रणब माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स' नाम की किताब लिखी है. इस किताब में प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों का भी जिक्र है. इस किताब के मुताबिक पीएम मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बीच 'स्ट्रॉन्ग पर्सनल कमेस्ट्री' थी. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब में लिखा है कि उनके पिता और पीएम मोदी के संबंध उनके प्रधानमंत्री बनने से बहुत पहले से थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शर्मिष्ठा लिखती है कि उनके पिता अपनी राजनीतिक गुरू इंदिरा गांधी और पीएम मोदी में उनकी अलग विचारधाराओं के बावजूद समानता देखते थे. शर्मिष्ठा मुखर्जी की ये किताब प्रणब मुखर्जी की डायरी पर आधारित है, जिसमें उन्होंने अपने शुरुआती सफर से राष्ट्रपति बनने तक का जिक्र किया था.

पीएम मोदी के बारे में क्या सोचते थे प्रणब मुखर्जी-
शर्मिष्ठा मुखर्जी किताब में लिखती है कि यूपीए-2 सरकार की हार के बाद प्रणब मुखर्जी इस बात को लेकर चिंतित थे कि अब आगे क्या होगा? पीएम मोदी को शपथ दिलाते समय प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा कि हमें देखना होगा कि यह नया आदमी (नरेंद्र मोदी) कैसे उभरता है? सरकार की स्थिरता है. लेकिन सामाजिक एकजुटता का क्या? मैं सचमुच में चिंतित हूं.

किताब के मुताबिक प्रणब मुखर्जी ने बाद में पीएम मोदी की खूबियों के बारे में लिखा. उन्होंने डायरी में लिखा है कि हमने कई मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने (पीएम मोदी) ने कहा कि वह मेरी सलाह को महत्व देते हैं और मैंने उनसे कहा कि उन्हें मेरा पूरा सहयोग मिलेगा. यह बिल्कुल साफ है कि उनके विचारों में स्पष्टता है और शासन कला के उनका नजरिया प्रोफेशनल है. वह लोगों की नब्ज को जबरदस्त तरीके से समझते हैं. वह सीखना चाहते हैं और यह दिखावा नहीं करते हैं कि वह 'Mr Know All' हैं. वह कट्टर आरएसएस व्यक्ति के तौर पर वह कट्टर देशभक्त और राष्ट्रवादी हैं.

प्रणब मुखर्जी के पैर छूते थे नरेंद्र मोदी-
प्रणब मुखर्जी ने 18 अगस्त 2012 को डायरी में नरेंद्र मोदी से पहली बार मुलाकात के बारे में लिखा है. उस समय मोदी गुजरात से मुख्यमंत्री थे. किताब के मुताबिक प्रणब मुखर्जी ने डायरी में लिखा कि नरेंद्र मोदी मुझसे मिलने आए. वह कांग्रेस और सरकार के कटु आलोचक हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि मेरे लिए एक अजीब सॉफ्ट कॉर्नर है. सीएम/एनडीसी की बैठकों में मैंने उनकी टिप्पणियों पर तीखा रिएक्शन दिया और उन्होंने भी तीखा जवाब दिया. लेकिन जब भी वो मुझसे व्यक्तिगत तौर पर मिलते हैं, तो हमेशा मेरे पैर छूते हैं और मुझसे कहते हैं कि ऐसा करने से उन्हें खुशी मिलती है. प्रणब ने डायरी में लिखा है कि मुझे इसका कारण पता नहीं है.

अक्सर टहलते समय हो जाती थी मुलाकात-
किताब के मुताबकि दिल्ली के वीआईपी एन्क्लेव में सुबह की सैर के दौरान उनके पिता और पीएम मोदी अक्सर मिल जाते थे. किताब में शर्मिष्ठा लिखती हैं कि पीएम मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मुझे प्रणब मुखर्जी के पैर छूने की अपनी आदत के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि वह प्रणब मुखर्जी को लंबे समय से जानते हैं... मोदी संगठनात्मक कामों के लिए अक्सर दिल्ली आते थे और नॉर्थ/साउथ एवेन्यू इलाके में रुकते थे. वह अक्सर सुबह की सैर के दौरान प्रणब मुखर्जी से मिल जाते थे. शर्मिष्ठा मुखर्जी किताब में लिखती हैं कि प्रणब मुखर्जी हमेशा उनसे विनम्र होकर बात करते थे और मोदी हमेशा उनके पैर छूकर सम्मान दिखाते थे.

शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी कई बार पीएम मोदी उनसे मिलने आए और उन्होंने दोनों के बीच एक मजबूत व्यक्तिगत तालमेल देखा. शर्मिष्ठा लिखती है कि वो हमेशा पिता से पीएम मोदी से मुलाकातों के बारे में पूछती थीं. वो हर बार इसे एक राजनीतिक अड्डा बताते थे.

इतिहास के डी-नेहरूफिकेशन से निराश थे प्रणब-
किताब के मुताबिक प्रणब मुखर्जी एनडीए के सत्ता में आने के बाद से इतिहास के डी-नेहरूफिकेशन से निराश थे. उन्होंने डायरी में लिखा था कि 3 साल में पहली बार इंदिरा गांधी के लिए कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं हुआ है. मोदी सरकार का डी-नेहरूफिकेशन प्रोग्राम शुरू हो गया है. अगर वे सोचते हैं कि वे इतिहास से नेहरू-इंदिरा-राजीव को मिटा सकते हैं ,तो वो गलतै हैं.

किताब के मुताबिक नोटबंदी के बाद पीएम मोदी प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी और इस मसले पर समर्थन का अनुरोध किया था. प्रणब मुखर्जी ने सहमति जताई थी और एक ट्वीट के जरिए अपना समर्थन दिया था. हालांकि प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी के सामने कई चिंताओं का जिक्र किया था. शर्मिष्ठा की किताब के मुताबिक प्रणब को डर था कि इससे करेंसी और बैंकिंग सिस्टम में लोगों का भरोसा कम हो जाएगा.

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