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Sahitya Aaj Tak 2024: थरूर की किताब से शर्मिंदा हुए विदेशी.. आखों में आंसू भर मांगी माफी

डॉ. शशि थरूर ने साहित्य आज तक के साथ मंच साझा किए और अपनी एक किताब के बारे में बताया, जिसने अंग्रेजों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर उन्होंने भारतीयों के साथ क्या सलूक किया. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस किताब को लिखने के लिए उन्होंने क्यों कहा गया.

साहित्य आज तक के मंच पर पूर्व राजनियक, लेखक और सांसद डॉ. शशि थरूर भी विराजमान हुए. बता दें कि डॉ. शशि थरूर ने 26 किताबें लिखी है, साथ ही उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.

अपने राजनीति में प्रवेश करने के लिए उन्होंने बताया कि उनका संकल्प की भारत देश के सभी लोगों में भाईचारा हो, साथ ही विभिन्न मजहबों के लोगों में कोई विवाद ना हो और मिलबांट कर एक विकसित भारत का निर्माण हो सके. यही कारण है उनका राजनीत में आने का.

डॉ. शशि थरूर ने अंग्रेजों के शासन के खिलाफ भी एक किताब लिखी है. इसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह अंग्रेजों ने अपने राज में भारत को लूटा. इसके बारे में बात करते हुए थरूर ने कहा कि दरअसल इस किताब को लिखने के लिए उनकी कोई पहले से मंशा नहीं थी.

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उन्हें विदेश में एक वाद-विवाद के लिए बुलाया गया था. जिसका वीडियो जब यूट्यूब पर गया. तो एक ही दिन में 30 लाख लोगों ने उस वीडियो को देख लिया. साथ ही इसकी चर्चा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी होने लगी. उनको प्रधानमंत्री तक ने उनके भाषण के लिए तारीफ की. जिसके बाद उनको प्रकाशक द्वार कॉनटैक्ट किया गया और किताब लिखने के लिए कहा गया. थरूर कहते है इसके बाद उन्होंने विचार किया और यह सोच कर किताब लिखी ताकी युवा पीढ़ी को पता लग सके कि पहले क्या हुआ था.

हैरानी की बात ये है कि थरूर बताते है कि जब उन्होंने अपने विदेशी मित्रों को इस किताब के बारे में बताया और उन्होंने किताब पढ़ी, तो उन्होंने माफी मांगी कि उनके पुर्खों को ऐसा नहीं करना चाहिए था.

वह बताते हैं कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में जलियांवाला बाग पर एक भाषण दिया था. इसके बाद कई लोग उनकी किताब लेकर हस्ताक्षर करवाने के लिए. इसी बीच एक विदेशी ने उन्हें एक कागज का टुकड़ा थमाया. जिसमें लिखा था कि मैं ब्रिटिश हूं, मेरी माफी को स्वीकार करें. और उस शख्स की आंखों में आंसू थे. 

वह कहते हैं कि मैं विदेशियों से सवाल करता हूं कि आप अपने बच्चों की इतिहास के सब्जेक्ट में क्यों नहीं पढ़ाते कि आखिर असल में हुआ क्या था. किस तरह आपने अपने राज में क्या किया था. आप ऐसे म्यूजियम क्यों नहीं बनाते जो बताए कि किस तरह आप चीज़ों की चोरी करके लाए थे. टीवी पर ऐसे शो क्यों कि दिखाते जो पहले जो हुआ उसका असल चेहरा दिखाएं. साथ ही यह भी सवाल करते है कि बिना असल इतिहास जाने आपके बच्चे इतिहास में ड्रिगी कैसे प्राप्त कर रहे हैं. 

वह कहते हैं कि मैं नहीं कहता कि नफरत पैदा करो. मेरा सिर्फ यह मानना है कि माफ करो पर भूलो मत जो कुछ भी हुआ था. हम स्वतंत्र देश हैं. हम दोनों अपना-अपना विकास करेंगे. लेकिन आधा-अधूरा ज्ञान मत दो. 

हिंदू होने और हिंदुत्व के ऊपर बात करते हुए थरूर ने कहा कि हिंदू वो है जो ईश्वर तक पहुंचने के लिए हर मार्ग को सही मान लेता है. या दूसरे शब्दों हर किस्म को प्रार्थना को ठीक मानता है. लेकिन हिंदुत्व कहीं न कहीं राजनीत से जुड़ा हुआ है जो कहता या समझता है कि केवल मेरा ही रास्ता ठीक है.