दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. इस समय देश की राजधानी में AQI 400 के पार होकर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है. इससे निपटने के लिए प्रशासन हर संभव कोशिश कर रही है. सरकार ने इस गंभीर समस्या से छुटकारा पाने के लिए शहर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-4) के स्टेज 4 लागू कर दिया है. इस समस्या को लेकर कांग्रेस के सीनियर लीडर और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने दिल्ली की बिगड़ती हवा की गुणवत्ता को लेकर दिल्ली सरकार पर निशाना साध दिया है. वायू प्रदूषण की समस्या को मद्दे नजर रखते हुए शशि थरूर ने अपने X पर पोस्ट करते हुए पूछ है कि क्या दिल्ली को देश राजधानी बने रहना चाहिए.
थरुर- 'क्या दिल्ली को राजधानी बने रहना चाहिए'?
थरुर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि 'दिल्ली ऑफिशियली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. यहां का AQI खतरनाक स्तर से भी 4 गुना ज्यादा है और दूसरे सबसे प्रदूषित शहर ढाका से लगभग पांच गुना ज्यादा AQI है. हमारी सरकार सालों से इस समस्या को देख रही है लेकिन इसे सुधारने के लिए कुछ नहीं कर रही है.' थरूर ने आगे कहा कि उन्होंने 2015 में एयर क्वालिटी राउंड टेबल चलाया था लेकिन पिछले साल इसे बंद कर दिया गया क्योंकि इससे कोई बदलाव नहीं आ रहे थे और किसी को परवाह भी नहीं थी...इसके बाद उन्होंने सवाल पूछा, 'क्या दिल्ली को देश की राजधानी बने रहना चाहिए?'
दिल्ली को देश की राजधानी बने 93 साल हो चुके हैं. जी हां, दिल्ली से पहले देश की राजधानी कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) हुआ करता था. लेकिन अंग्रेजों ने दिल्ली को देश की राजधानी बनाया.
कैसे बनी दिल्ली देश की राजधानी
हम सभी जानते हैं कि दिल्ली हमारे देश की राजधानी है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर दिल्ली को राजधानी क्यों और कैसे बनाया गया था. बता दें कि दिल्ली से पहले कलकत्ता देश की राजधानी हुआ करता था. लेकिन, 12 दिसंबर 1911 में कलकत्ता से बदलकर दिल्ली को देश राजधानी बनाने का फैसला लिया गया.
13 फरवरी 1931 को दिल्ली की ऑफिशियली राजधानी घोषित कर दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली कई साम्राज्यों की फाइनेंशियल और राजनीतिक केंद्र थी. इसके कुछ बेहतरीन उदाहरण दिल्ली सल्तनत के शासनकाल के साथ-साथ 1649-1857 तक मुगलों के शासनकाल हैं. भारत में अंग्रेजों के आने के साथ, कई चीजें बदल गईं. 1900 में पहली बार ब्रिटिश प्रशासन ने कलकत्ता से दिल्ली को कैपिटल बनाने के बारे में सोचा.
आखिर क्यों बनाया गया दिल्ली को कैपिटल
दिल्ली को राजधानी बनाने का एक मुख्य कारण था कि दिल्ली देश के मध्य में पड़ती थी और कलकत्ता देश के पूर्वी तटीय भाग में स्थित था. ब्रिटिश सरकार ने महसूस किया कि दिल्ली से शासन करना आसान और अधिक सुविधाजनक हो सकता है. जिसके बाद 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार के दौरान, क्वीन मैरी ने घोषणा की कि भारत की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली कर दी जाएगी. इस योजना को पूरा करने में तकरीबन दो दशक यानी 20 साल का समय लग गया था. जिसके बाद 13 फरवरी 1931 को ऑफिशियल तरीके से दिल्ली देश की राजधानी बन गई. तब से आज तक दिल्ली हमारे देश की राजधानी है.
(ये स्टोरी यामिनी सिंह बघेल ने लिखी है. यामिनी GNTTV.COM में बतौर इंटर्न काम करती हैं.)