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MP: जेल में भागवत कथा का पाठ, कैदियों की मानसिकता बदलने का है मकसद

कैदियों को सत्संग से जोड़ने के लिए यह भागवत कथा जेल परिसर में कराई जा रही है ताकि सजा पूरी होने के बाद जब यह कैदी फिर से समाज के बीच जाएं तो ऐसे कृत्य दोबारा ना दोहराएं जिनसे समाज का अहित हो.

 कैदियों को अपराध की दुनिया से बाहर लाने की एक अनूठी पहल कैदियों को अपराध की दुनिया से बाहर लाने की एक अनूठी पहल
हाइलाइट्स
  • कैदियों के लिए सेंट्रल जेल में भागवत कथा का आयोजन

  • संगीन मामलों में सजा काट रहे कैदी सुन रहे भागवत कथा

  • सेंट्रल जेल अधीक्षक बने भागवत कथा के मुख्य यजमान

एमपी के सागर सेंट्रल जेल में इन दिनों एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां पर कैदियों के बीच में ज्ञान की गंगा बह रही है. दरअसल जेल अधीक्षक की पहल पर हत्या, हत्या के प्रयास, रेप, चोरी, मारपीट, डकैती और लूट जैसे संगीन मामलों में सजायाफ्ता कैदियों को श्रीमद् भागवत कथा का पाठ कराया जा रहा है.

कैदियों की मनोदशा सुधारने का है संकल्प
जानकारी के मुताबिक सेंट्रल जेल में 1800 से ज्यादा कैदी सजा काट रहे हैं. उनकी मनो दशा सुधारने के लिए और उनको अपराध की दुनिया से बाहर लाने के लिए भागवत श्रीमद् भागवत कथा का सहारा जेल प्रबंधक ने लिया है. इसी वजह से सेंट्रल जेल में भागवत कथा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कैदी हिस्सा ले रहे हैं.

1 जनवरी से शुरू हुई कथा
नए साल पर 1 जनवरी से भागवत कथा का शुभारंभ हुआ है जो 7 जनवरी तक चलेगी. इस कथा के मुख्य यजमान सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे और उनकी पत्नी है. वही कथा का वाचन आचार्य बिपिन बिहारी जी महाराज के द्वारा किया जा रहा है. कथा के तीसरे दिन उन्होंने सीता स्वयंवर का अद्भुत प्रसंग सुनाया, जिसमें उन्होंने धनुष के टूटने और भगवान की भक्ति में लीन होने को लेकर कहा कि अगर सत्संग से जुड़ जाओगे तो सजा माफ नहीं तो हाफ जरूर हो जाएगी.

कैदियों में सुधार लाने की एक पहल
वही इसको लेकर उप जेल अधीक्षक रामलाल शहलम ने बताया कि नए वर्ष के पर कैदियों को सत्संग से जोड़ने के लिए यह भागवत कथा जेल परिसर में कराई जा रही है ताकि सजा पूरी होने के बाद जब यह कैदी फिर से समाज के बीच जाएं तो ऐसे कृत्य दोबारा ना दोहराएं जिनसे समाज का अहित हो. वहीं इस कथा में समाजसेवियों का भी सहयोग है.