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Siachin Day: दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र को हासिल कर भारतीय सेना ने रचा था इतिहास, जानिए ऑपरेशन मेघदूत के बारे में

सियाचिन ग्लेशियर पर तिरंगा लहराने के लिए सेना के जवानों द्वारा प्रदर्शित साहस और वीरता को सम्मानित करने के लिए हर साल 13 अप्रैल को पूरे देश में भारतीय सेना द्वारा 'सियाचिन दिवस' के रूप में मनाया जाता है.

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हाइलाइट्स
  • भारतीय सेना हर साल 13 अप्रैल को सियाचिन दिवस मनाती है

  • सबसे ऊंचे युद्ध मैदान पर पहुंची भारतीय सेना 

भारतीय सेना हर साल 13 अप्रैल को सियाचिन दिवस मनाती है. यह दिन "ऑपरेशन मेघदूत" के तहत भारतीय सेना के साहस को याद करने के लिए मनाया जाता है. यह दिन दुश्मन से सफलतापूर्वक अपनी मातृभूमि की रक्षा करने वाले सियाचिन योद्धाओं को भी सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है.

हर साल, भारतीय सेना दुनिया के सबसे ठंडे और सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र को सुरक्षित करने वाले भारतीय सेना के जवानों के साहस को याद करती है.

क्या था ऑपरेशन 'मेघदूत' 
सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना की उपस्थिति स्थापित करने के लिए ऑपरेशन 'मेघदूत' शुरू किया गया था. यह काम कुमाऊं बटालियन्स में से एक को सौंपा गया था, जिसे लद्दाख स्काउट्स की एक कंपनी और दूसरी कुमाऊं बटालियन की दो कंपनियों ने सपोर्ट किया. इस कार्य को करने से पहले, जवानों ने कई हफ्तों तक कठोर प्रशिक्षण लिया, जिसमें आइस क्राफ्ट, स्नो क्राफ्ट, बर्फ पर जीवित रहना और शारीरिक फिटनेस और मानसिक मजबूती शामिल थी. ऑपरेशन 'मेघदूत' का नेतृत्व मेजर (बाद में कर्नल) आरएस संधू, वीआरसी ने किया था. 

कर्नल नरेंद्र कुमार, एक प्रतिष्ठित पर्वतारोही और भारतीय सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के कमांडेंट, ने 1977 में एक जर्मन राफ्टर के पास एक मैप देखा, जिसमें NJ 9842 को काराकोरम दर्रे से जोड़ने वाली एक बिंदीदार रेखा दिखाई गई थी. यह दर्शाते हुए कि 1949 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए युद्धविराम के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा रेखा NJ 9842 पर समाप्त हो गई थी.

इसके बाद भारतीय सेना ने 1977 से अभियान चलाया और इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की पाकिस्तानी योजना का खुलासा किया. पाकिस्तान ने तब तक कई पहल कर दी थीं. उन्होंने नागरिकों के पर्वतारोहण अभियानों के लिए इस एरिया को खोला और इसकी आड़ में, इस क्षेत्र पर सैन्य नियंत्रण हासिल करने के लिए बढ़ने लगा. 

सबसे ऊंचे युद्ध मैदान पर पहुंची भारतीय सेना 
इन परिस्थितियों में 13 अप्रैल 1984 को 'ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया गया था. यह धैर्य और बहादुरी का एक अकल्पनीय पराक्रम था, जब भारतीय सेना ने साल्टोरो रिज, सिया ला और बिलाफोंड ला के मुख्य दर्रों पर हावी ऊंचाइयों पर नियंत्रण हासिल किया. 

ऑपरेशन मेघदूत कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर को हासिल करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन का कोडनेम था. भारतीय सेना के इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के ऑपरेशन अबाबील को रोक दिया. इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान भी ग्लेशियर पर कब्जा चाहता था. लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनके इस ऑपरेशन को असफल करके खुद सियाचिन पर तिरंगा फहराया. 

वर्तमान में, भारतीय सेना दुनिया की पहली और एकमात्र सेना है जो इतनी ऊंचाई पर (5,000 मीटर से ज्यादा या 16,000 फीट)) टैंक और अन्य भारी आयुध पहुंचाने में सफल रही है. भारतीय सेना और पाकिस्तान सेना, दोनों की दस इन्फैंट्री बटालियन पूरे क्षेत्र में 6,400 मीटर (21,000 फीट) तक की ऊंचाई पर सक्रिय रूप से तैनात है.