
उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसती है आस्था, और जब आस्था विकास से मिलती है तो तस्वीरें कुछ अलग ही होती हैं. उत्तरकाशी जिले में स्थित सिल्क्यारा टनल का लंबे समय से इंतजार हो रहा था और अब वो घड़ी आ गई है. टनल का ब्रेकथ्रू यानी आर-पार हो जाना एक ऐतिहासिक क्षण बन गया. यह सुरंग न केवल इंजीनियरिंग का कमाल है, बल्कि चारधाम यात्रा के सफर को भी और सरल, और कम दूरी वाला बना देगी.
लेकिन इस खास मौके पर एक और अध्याय जुड़ गया बाबा बौखनाग के नए मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा. फूलों से सजी डोली में जब बाबा बौखनाग अपने नवनिर्मित मंदिर में पहुंचे, तो वहां मौजूद लोगों की आंखों में श्रद्धा और गर्व झलक रहा था. कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे. उन्होंने न सिर्फ बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लिया, बल्कि टनल ब्रेकथ्रू का हिस्सा भी बने.
आस्था और विकास का संगम
सिल्क्यारा टनल का महत्व सिर्फ चारधाम यात्रा तक सीमित नहीं है. यह सुरंग गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी को 26 किलोमीटर कम कर देगी और यात्रा को अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनाएगी. यह दो लेन और दो दिशा वाली सुरंग है, जिसमें फायर फाइटिंग की भी पूरी व्यवस्था है. एक ओर से आप प्रवेश करेंगे, और दूसरी ओर से निकल जाएंगे बस 10 मिनट में.
हादसे की याद और वादा पूरा
इस सुरंग का नाम साल 2023 में तब चर्चाओं में आया था जब निर्माण के दौरान एक भयंकर हादसा हुआ था. 41 मजदूर 17 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे. बाबा बौखनाग मंदिर के पुजारी रामनारायण बताते हैं कि तब उन्होंने सुरंग के पास मंदिर बनवाने की मांग की थी, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई. हालांकि मजदूरों की सकुशल वापसी के बाद मंदिर निर्माण का वादा किया गया, जो अब पूरा हुआ.
भविष्य की राह
साल 2018 में शुरू हुआ सुरंग निर्माण अब अपने अंतिम चरण में है. पूरी तरह से शुरू होने में थोड़ा वक्त और लगेगा, लेकिन ब्रेकथ्रू ने एक नई शुरुआत की ओर इशारा कर दिया है.
चारधाम यात्रा, आस्था और विकास की इस अनोखी त्रयी का गवाह बना है सिल्क्यारा पोल गांव. अब जब हर मोड़ पर विकास की गूंज हो रही है, तो यह सुरंग उत्तराखंड के भविष्य की दिशा तय करने वाला पड़ाव बन चुका है.