पिछले कई महीनों से नए संसद भवन की चर्चा चारों ओर है. ऐसे में इसमें छह द्वार हैं. नए संसद भवन के पहले सत्र के आयोजन से कुछ दिन पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भवन के गज द्वार पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. ये 6 द्वार अलग-अलग जानवरों को दर्शाते हैं. जैसे गज द्वार, अश्व, गरुड़ आदि.
गज द्वार
नई संसद में छह प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से हर द्वार एक अलग भूमिका दर्शाते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर के प्रवेश द्वार की सुरक्षा के लिए एक हाथी या गज की मूर्ति स्थापित की गई है, क्योंकि यह जानवर ज्ञान और धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही ये द्वार निर्वाचित लोगों की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो बुद्धि का स्रोत है. इस दिशा के स्वामी धन के देवता कुबेर हैं. इसलिए, गज को उत्तर दिशा में रखा जाता है.
लाल बलुआ पत्थर लगे हैं
दरअसल, नए संसद भवन में सभी छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जानवरों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां लगी हैं. भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया गया है.
1. अश्व: दक्षिणी प्रवेश द्वार पर सतर्क और तैयार खड़ा अश्व या घोड़े की मूर्ति लगी है. घोडा धीरज और शक्ति, और गति का प्रतीक होता है. इसके अलावा, अश्व शासन की गुणवत्ता का भी प्रतीक होता है,
2. गरुड़: चील जैसा गरुड़ पूर्वी औपचारिक प्रवेश द्वार पर लगाया गया है. ये मूर्ति देश के लोगों और प्रशासकों की आकांक्षाओं का प्रतीक है. अधिकारियों का कहना है कि वास्तु शास्त्र में, पूर्वी दिशा उगते सूरज से जुड़ी है जो आशा, जीत की महिमा और सफलता का प्रतिनिधित्व करती है.
3. मकर: मकर एक पौराणिक जलीय जीव है. ये अलग-अलग जानवरों के शारीरिक अंगों से बना होता है. ये देश के लोगों के बीच विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है.
4. शार्दुला: एक दूसरा पौराणिक जीव है. शार्दुला को सबसे शक्तिशाली, सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है, जो देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है.
4. हंस: लोकतंत्र के लोगों का सबसे महत्वपूर्ण गुण विवेक और आत्म-बोध की शक्ति है. इसी को दर्शाने के लिए उत्तर पूर्व के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर हम्सा या हंस की मूर्ति लगाई गई है.
इन छह प्रवेश द्वारों में से तीन को विशेष मेहमानों के स्वागत और विशेष आयोजनों के लिए औपचारिक प्रवेश द्वार के रूप में डिजाइन किया गया है. ये औपचारिक प्रवेश द्वार भारतीय कला, संस्कृति, लोकाचार और देशभक्ति को प्रदर्शित करते हैं. इनका नाम भी ज्ञान, शक्ति और कर्म रखा गया है.