हरियाणा के सोनीपत के गांव मटिण्डू में एक किसान के बेटे ने पर्वतारोही बन अलग ही मिसाल पेश की है. मिली जानकारी के अनुसार नितेश दहिया ने बारहवीं के बाद पर्वतारोहण का रास्ता अपना लिया और अब पर्वतारोही बन प्रदेश में जिले का नाम रोशन कर रहे हैं. शुरुआत में तो उसने अपने घर और साथियों से कर्ज उठाकर ही रास्ता तय किया, लेकिन अब सरकार के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने घोषणा की है कि नीतीश को एक सरकारी नौकरी और 5 लाख रुपये दिए जाएंगे.
मिली जानकारी के अनुसार सोनीपत के गांव में मटिण्डू निवासी नितेश दहिया का जन्म 5 अगस्त 1999 को हुआ था. नितेश के पिता राजवीर सिंह एक किसान है और मां सुनीता देवी घर में कपड़े की दुकान से घर का गुजारा चला रही है. नितेश की दो बहनें हैं. नितेश ग्रेजुएट हैं. हरियाणा के गांव मटिण्डू मे एक छोटे किसान परिवार में जन्मा यह लड़का दुनिया भर में अपने देश, अपने समाज, अपने गांव, अपने साथियो व अपने परिवार का नाम रोशन कर रहा. उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में समाज सेवा करनी शुरू की और अनेक धार्मिक भव्य यात्राओं का नेतृत्व किया.
...जब नहीं मिली सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी में असफल होने के बाद उनके अंदर देश के प्रति कुछ अलग करने की भावना जगी. 16 अक्टूबर 2021 में बिना किसी अनुभव के होते हुए पर्वतारोहण के क्षेत्र में कदम रखा. सबसे पहले नितीश दहिया ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' में एक महीने की कड़ी मेहनत करके अपना पहला पडाव बेसिक माउंटेनरिंग कोर्स को ए ग्रेड के साथ पूरा किया. सबसे पहली उपलब्धि 26 जनवरी 2022 को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर 4 दिन में 2 बार तिरंगा फहराकर दुनिया का सबसे कम उम्र का और भारत का पहला पर्वतारोही होने का खिताब अपने नाम किया.
दूसरी उपलब्धि 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में नाम दर्ज हुआ. तीसरी उपलब्धि 20 मई 2022 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया.चौथी उपलब्धि 21 जून 2022 को 1 महीने के अंदर ही यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (रशिया देश में) पर तिरंगा फहराकर भारत का नाम दुनिया भर में रोशन किया. नितेश का मकसद दुनिया के सभी महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर अपने देश का झंडा फहराना है.
दो महीने की मेहनत
नितेश दहिया ने बताया कि करीब 2 महीने की कड़ी मेहनत के बाद उसने 20 मई को दुनिया की सबसे बड़ी चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है. नितेश ने कहा, ''मैंने 5 दिन में ही माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया.'' जिस कॉलेज में पढ़ रहा था वहां पर शिखर नाम की एक मैगजीन थी उसमें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वालों के किस्से छपते थे. जिससे मैंने प्रेरणा ली और उसके बाद मैंने यह सोचा कि दुनिया के सबसे बड़े शिखर पर एक दिन तिरंगा फहराना है. जब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रहा था तो ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही थी और मरने का खतरा लगातार बढ़ रहा था. हमें एक एक कदम सोचकर आगे रखना पड़ रहा था क्योंकि जहां पर बर्फ पड़ी थी उससे आगे का नहीं पता था कि वहां पर बर्फ है या फिर खाई. बर्फ को पिघला कर जो पानी बनता था उसको पीते थे और नीचे से केवल चॉकलेट ले कर गए थे ताकि जिंदा रहने के लिए उसे खा सकें.
(सोनीपत से पवन राठी की रिपोर्ट)