23 जनवरी को पराक्रम दिवस पर हिंद शूरवीर आईएनएस वागीर नौसेना में शामिल होने जा रहा है. समंदर की सरहदों को दुश्मनों से महफूज रखने के लिए भारत के प्रोजेक्ट -75 के तहत ये पांचवी पनडुब्बी नौसेना में शामिल हो रही है. चार पनडुब्बियां पहले से समुद्र की सरहदों की रखवाली में जुटी हैं. कलवरी क्लास की ये डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है. मझगांव डॉक्स शिपयार्ड में तैयारी हुई इस शानदार सबमरीन की कमीशनिंग इसके जन्मस्थान पर ही होने जा रही है. स्वदेशी में बनी इस सबमरीन में वो तमाम खूबियां हैं जो इसे समंदर के युद्ध का ऑलराउंडर बना देती हैं.
आईएनएस वागीर में क्या है खास
आईएनएस वागीर एक कलवरी क्लास डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन है. INS वागीर की लंबाई 221 फीट और चौड़ाई 40 फीट है. इसमें चार ताकतवर डीजल इंजन लगे हैं. ये समुद्र के अंदर ये 37 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड से चलती है. तो वहीं समुद्र की सतह पर 20 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड से चल सकती है. बिना किसी दिक्कत के ये 350 फीट गहराई तक जा सकती है. ये समुद्र की सतह पर एक बार में 12 हजार किलोमीटर का सफर तय कर सकती है. तो वहीं वागीर समुद्र के अंदर एक बार में एक हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर सकती है. ये पनडुब्बी लगातार 50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है. ये आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है. साथ ही इसमें 40 से ज्यादा सैन्य अधिकारी सवार हो सकते हैं.
बेहद खामोशी से दे सकती है मिशन को अंजाम
आईएनएस वागीर भारत में बनी सबसे शक्तिशाली पनडुब्बियों में से एक है. इस सबमरीन की ये खासियत है कि ये अपने मिशन को बेहद खामोशी से अंजाम देती है. यानी जब आईएनएस वागीर दुश्मन की थाह लेने सागर की गहराइयों में उतरेगी, तो शत्रु और उसके रडार, दोनों ही अपनी ओर आते इस खतरे को भांप नहीं पाएंगे. रडार की पकड़ में आए बिना दुश्मनों पर हमला कर, उसकी जल समाधि बना देने की इस करामाती तकनीक को स्टील्थ टेक्नोलॉजी कहा जाता है. और आईएनएस वागीर की यही स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे बेहद घातक बनाती है.
दो साल के ट्रायल के बाद नौसेना में हुई शामिल
करीब दो साल तक समुद्री ट्रायल के बाद इस पनडुब्बी को नौसेना का योद्धा बनने का गौरव हासिल हुआ. इन दो साल में आईएनएस वागीर को कई मुश्किल परीक्षण से गुजरना पड़ा. समंदर में इसका सामना तूफानी लहरों से हुआ. गहराई में पूरी रफ्तार से घूमने की इसकी क्षमता परखी गई. युद्ध जैसे हालात में हमला करने की इसकी काबिलियत जांची गई. सभी सख्त पैमानों पर खरा उतरने के बाद ही इस सबमरीन को पिछले साल 20 दिसंबर को नौसेना के हवाले किया गया था.
नेविगेशन और ट्रैकिंग तकनीक से है लैस
आईएनएस वागीर का डिजाइन भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. INS वागीर आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग तकनीक से लैस है. ये समंदर में बारूदी सुरंग बिछाने में सक्षम है. एंटी सबमरीन वारफेयर में इसका कोई मुकाबला नहीं है. निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में भी ये सक्षम है. इसमें 533 एमएम के 6 टॉरपीडो ट्यूब हैं. इनसे 18 टॉरपीडो मिसाइल लोड की जा सकती है. INS वागीर एक्सोसेट एंटी शिप मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम है.
लंबे समय तक समंदर में रहने की क्षमता
ये पनडुब्बी लंबे समय तक समंदर में रहकर कई मुश्किल मिशन को एक साथ पूरा कर सकती है और इसकी ये खूबी वागीर को बेहद खास बना देती है. हिंदुस्तान को महफूज रखने में नौसेना बेहद अहम किरदार निभाती है. भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा है. लिहाजा दुश्मन के हमले का खतरा भी तीन तरफ से होता है. ऐसे में नौसेना अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में अपने ताकतवर लड़ाकों को तैनात रखती है. आईएनएस वागीर के नौसेना में शामिल होने से समंदर में हिंदुस्तान का ये सुरक्षा घेरा और मजबूत हो गया है. साथ ही आईएनएस वागीर की कमीशनिंग नेताजी की जयंती पर होने से देश के लिए ये गुड न्यूज और भी खास हो गई है.