
साउथ अफ्रीका ने महात्मा गांधी से जुड़ी कई दुर्लभ वस्तुओं को भारत को सौंपा है. इसमें ऐतिहासिक दस्तावेज से लेकर बापू के हाथ से बुने वस्त्र तक शामिल हैं. आपको बता दें कि साल 1893 में महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका गए थे और साल 1915 में भारत लौटे थे. साउथ अफ्रीका के फीनिक्स सेटलमेंट ट्रस्ट-गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की तरफ से महात्मा गांधी से जुड़ी वस्तुओं को राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय को सौंपा गया. इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजूद रहे.
ये ऐतिहासिक चीजें सौंपी गई-
ये ऐतिहासिक कलाकृतियां और दस्तावेज महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास से जुड़े हैं. इसमें महात्मा गांधी के हाथ से बुने वस्त्र भी शामिल हैं. इसके अलावा कई ऐतिहासिक दस्तावेज भी शामिल हैं. इसके अलावा महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की लाल बॉर्डर वाला साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट शामिल है. बापू की लुंगी और एक कपड़े का टुकड़ा भी साउथ अफ्रीका की तरफ से सौंपा गया है.
महात्मा गांधी की बनाई सूत की माला-
ट्रस्ट की तरफ से एक सूत की माला भी सौंपी गई. यह माला महात्मा गांधी ने सूत काटकर बनाई थी. इस माला को महात्मा गांधी के बेटे मणिलाल गांधी की पत्नी सुशीला गांधी ने अपनी शादी में पहना था. बाद में इस सूत की माला को बापू के पोते किदार रामगोबिन को सौंप दी गई थी. रामगोबिन ने बाद में इस माला को दान कर दिया.
ये दस्तावेज सौंपे गए-
फीनिक्स सेटलमेंट की बैलेंट शीट और डीड ट्रांसफर दस्तावेज सौंपा गया. इंडियन ओपिनियन न्यूज पेपर के प्रकाशन और वित्तीय दस्तावेज के साथ साल 1913 में चार्ल्सटाउन से भेजे गए टेलीग्राम भी सौंपे गए. मणिलाल गांधी की तरफ से देवदास गांधी को लिखी गई चिट्ठी भी सौंपी गई. इसके अलावा सुशीला गांधी को लिखी गए पत्र भी सौंपे गए.
साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी की विरासत-
महात्मा गांधी साल 1893 से 1914 के बीच साउथ अफ्रीका में रहे. इस दौरान उन्होंने पहली बार नस्लीय भेदभाव का अनुभव किया. साल 1893 में महात्मा गांधी ट्रेन में सफर कर रहे थे. उनके पास वैध टिकट भी था. लेकिन इसके बावजूद उनको फर्स्ट क्लास के डिब्बे से पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था. इस घटना ने उनको नस्लीय अन्याय के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया.
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