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G-20 शिखर सम्मेलन में विदेशी प्रतिनिधियों को सुरक्षा देंगे स्पेशल डॉग्स, जानें कैसे होती है K9 Warriors की ट्रेनिंग

K9 Warriors Dogs Training: जी-20 शिखर सम्मेलन में विदेशी प्रतिनिधियों को स्पेशल डॉग्स सुरक्षा देने वाले हैं. इसके लिए उनकी ट्रेनिंग चल रही है. इन कुत्तों को K9 Warriors कहा जाता है. इनकी अलग से खास ट्रेनिंग होती है.

K9 वॉरियर्स डॉग्स K9 वॉरियर्स डॉग्स
हाइलाइट्स
  • सेना में हैं 32 डॉग यूनिट 

  • कैनाइन डॉग्स को मिलते हैं विशेष पुरस्कार 

दिल्ली पुलिस के 40 डॉग हैंडलर के साथ 34 कुत्तों को ट्रेनिंग दी जा रही है. जैसे-जैसे G-20 शिखर सम्मेलन की तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे वैसे इन K9 वॉरियर्स की ट्रेनिंग कठोर होती जा रही है. ये सभी कुत्ते VVIP के बिना विदेशी प्रतिनिधियों को पूरी सुरक्षा देने वाले हैं. G-20 शिखर सम्मेलन की सुरक्षा के लिए चार-पैर वाले K-9 वॉरियर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है. 

दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल मोहम्मद आजम एक डॉग हैंडलर भी हैं. वे कहते हैं, “फोर्स इन कुत्तों को फोर्स मल्टीप्लायर मानती है और ये कुत्ते सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात हैं. जिन कुत्तों की नस्लों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है उनमें जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम शेफर्ड, लैब्राडोर और गोल्डन रिट्रीवर शामिल हैं.”

सेना में हैं 32 डॉग यूनिट 

कुत्तों को इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त कहा जाता है. यही वजह है कि 1960 से ये भारतीय सेना का एक अभिन्न अंग हैं. जी हां, भारतीय सेना में कुत्तों की अलग यूनिट है. भारतीय सेना में कथित तौर पर 32 डॉग यूनिट हैं. इनमें से 19 यूनिट उत्तरी कमान में काम करती हैं जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ऑपरेशन में इनकी भागीदारी होती है. प्रत्येक कैनाइन यूनिट में अलग-अलग नस्लों के 24 कुत्ते हैं. इन सभी कुत्तों को अलग-अलग कामों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर, ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग, बेल्जियन मैलिनोइस और यहां तक ​​कि मुधोल हाउंड और बखरवाल जैसी स्वदेशी प्रजातियां भी शामिल हैं.

कैसे होती है इनकी ट्रेनिंग?

बताते चलें, इन कैनाइनों को अलग-अलग काम के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें गश्त करना, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (IEDs) सहित विस्फोटकों को सूंघना, गार्ड ड्यूटी, संभावित लक्ष्यों पर हमला करना, माइन डिटेक्शन, हिमस्खलन मलबे का पता लगाना, प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना, छिपने का पता लगाने के लिए सर्च ऑपरेशन में मदद करना शामिल है. हर एक कुत्ते का एक ह्यूमन हैंडलर होता है, जो कैनाइन को संभालने और उसकी देखभाल के लिए जिम्मेदार होता है. अलग-अलग कामों के लिए उसे गाइड करना हैंडलर का ही काम होता है. 

कैनाइन डॉग्स को मिलते हैं विशेष पुरस्कार 

बताते चलें, भारतीय सेना में कुत्तों को उनकी बहादुरी के लिए विशेष पुरस्कार भी दिए जाते हैं. इन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड, वाइस चीफ ऑफ स्टाफ कमेंडेशन कार्ड और जीओसी इन चीफ कमेंडेशन कार्ड से लेकर विभिन्न ऑपरेशनों के दौरान उनके प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाता है. साथ ही जब इनकी किसी ऑपरेशन में मृत्यु हो जाती है तो उन्हें वीरता पुरस्कार भी दिया जाता है. 

(इनपुट- ललित शर्मा)