यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट को यादगार बनाने के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं. मंच पर आने वाले मेहमानों का स्वागत भी खास अंगवस्त्र(पटके) से होगा. लखनऊ की नायाब कारीगरी चिकन वर्क से सजे इन अंगवस्त्रों में देश की परम्परागत कढ़ाई और विरासत को लोग देख पाएंगे. मशहूर फैशन डिज़ाइनर अस्मा हुसैन(Asma Hussain) ने उनको डिज़ाइन किया है और महिला कारीगरों ने तैयार किया है.
ग्लोबल इंवेस्टर समिट( UP Global Investors Summit) में बड़े निवेश के लिए आने वाले विदेशी मेहमान हों या उद्योग जगह की नामचीन हस्तियां सबके लिए ये मौका यादगार होगा. यही नहीं अतिथि के तौर पर आने वाले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे सम्मानित हस्तियां या दूसरे केंद्रीय मंत्रियों को भी मंच पर खास अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया जाएगा. मंच पर सम्मान स्वरूप उनको पहनाया जाने वाला अंगवस्त्र बहुत ख़ास होगा. इस समय उनको तैयार करने का काम अंतिम चरण में है. ये अंगवस्त्र अलग-अलग तरह के फ़ैब्रिक पर परम्परागत लखनवी चिकनकारी करके तैयार किए गए हैं.
तिरंगे के रंगों से प्रेरित हैं अंगवस्त्र
मंच पर अतिथियों का सम्मान करने के लिए जो अंगवस्त्र तैयार किया गया है वो सिल्क, खादी और कोटा फ़ैब्रिक पर तैयार किए गए हैं. इनपर परम्परागत लखनवी चिकनकारी की गयी है. इनको डिज़ाइन करने वाली फ़ैशन डिज़ाइनर अस्मा हुसैन कहती हैं,‘सत्रहवीं शताब्दी की इस नायाब कारीगरी को लोग एक नए रूप में देखेंगे.’मंच पर पहनाए जाने वाले इन अंगवस्त्रों के लिए सॉफ़्ट पेस्टल रंगों का प्रयोग किया गया है. परम्परागत रूप से सफ़ेद रंग को चिकनकारी के लिए सबसे मुफ़ीद माना जाता है. इसलिए सफ़ेद रंग में इनको तैयार किया गया है. इसके अलावा सॉफ़्ट सैफ़्रॉन और लाइम ग्रीन का प्रयोग किया गया है. अस्मा हुसैन बताती हैं कि तिरंगे के रंगों से प्रेरित हैं यानि तिरंगे के रंगों का सबसे हल्का रंग इसमें लिए गए हैं जो देखने में स्टाइलिश लगेंगे. यह हमारे तिरंगे और राष्ट्रीय भावना को भी बताएंगे. इन रंगों को मंच पर अतिथियों को मुख्यमंत्री अपने हाथ से सम्मान स्वरूप पहनाएंगे. ये ऐसे रंग हैं कि महिला और पुरुष दोनों के ऊपर फबने वाले हों.
कमल की पंखुड़ी से लेकर नवाबों का राज-चिह्न मछली तक
चिकनकारी की सबसे बेहतरीन और नफ़ीस कारीगरी का प्रयोग करते हुए इन अंगवस्त्रों को बनाया गया है. इसमें ‘तेपची’ स्टिच का प्रयोग किया गया है जिसकी खासियत है कि दोनों ओर से देखने पर ये एक समान लगते हैं. वहीं बखिया(shadow work),मुर्री, जाली, घास पत्ती जैसे स्टिच का भी प्रयोग किया गया है. जाली जैसी परम्परागत स्टिच अवध के नवाबों के समय में बहुत ज़्यादा प्रचलित रहे हैं और ख़ास तौर पर कुर्ते या टोपी में इनका प्रयोग किया जाता रहा है. हाथ से की गयी चिकन कढ़ाई को महिला कारीगरों ने तैयार किया है. इसमें जिन प्रतीकों (motifs) का चयन किया गया है वो भी बहुत सोच समझ कर लिए गए हैं. कमल की पंखुड़ी, अनार की कली, अंगूर के बेल, कैरी, मछली कैसे प्रतीक लिए गए हैं जो देश की भावना और चिकनकारी की विरासत को भी दिखाते हैं. कमल का जहां भारतीय और सनातन संस्कृति में स्थान है वहीं मछली अवध के नवाबों का राजकीय निशान रहा है. जाहिर है ये साझी विरासत के भी प्रतीक होंगे. इसके अलावा रॉयल लुक देने के लिए सभी में सुनहरी किनारी (golden zari work)से काम किया गया है.
देश को करेगा रिप्रिजेंट
इन अंगवस्त्रों के लिए चिकन वर्क का चयन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किया गया है ख़ास बात ये है कि ये हुनरमंद चिकन कारीगरों के हुनर को इस बड़े प्लैट्फ़ॉर्म के ज़रिए देश विदेश में और लोगों तक पहुंचाएगा. अस्मा हुसैन कहती हैं कि जब इन कारीगरों को ये पता चलेगा या ये लोग फ़ोटो देखेंगे कि मंच पर उनको राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या अन्य बड़े लोगों ने पहना है तो उनका हौंसला बढ़ेगा. ये इस काम से जुड़े हम जैसे लोगों के लिए भी गर्व की बात है क्योंकि ये देश को रेप्रेज़ेंट करने वाला है.
चिकनवर्क(chikan work)न सिर्फ लखनऊ की परम्परागत कारीगरी है बल्कि ODOP में भी शामिल हैं.चिकन की कढ़ाई से सजे परिधान अपने ख़ास अन्दाज़ और नफासत के लिए जाने जाते हैं. लखनऊ और आस पास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चिकन की कढ़ाई होती है जो परिवारों ने अपने पूर्वजों से सीखा है. कहते हैं इसमें 72 अलग अलग तरह के टांके(stitch) होते हैं कर अब 30-32 स्टिच ज़्यादा प्रचलन में हैं.