आम आदमी की जिंदगी आसान बनाने वाला ड्रोन अब अन्नदाताओं की तकदीर बदलने जा रहा है. खेती के लिए वरदान साबित हो रहा ड्रोन अब करनाल के किसानों की मदद करेगा. हरियाणा के करनाल में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय में राज्य का पहला ड्रोन स्कूल खुला है, जिससे कि अब किसान और युवा भी ड्रोन पायलट बनेंगे. मतलब ये कि ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर इसका इस्तेमाल कीटनाशक के छिड़काव में कर सकेंगे. जिससे ना सिर्फ पानी और समय की बचत होगी, बल्कि किफायती भी साबित होगा.
3 घंटे नहीं केवल 10 मिनट में होगा छिड़काव
ड्रोन की मदद से 10 लीटर पानी में कीटनाशक दवा मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकता है. इतने एरिया में मैनुअली छिड़काव करने से करीब 3 घंटे का समय लगता है. लेकिन ड्रोन से स्प्रे करने में महज 10 मिनट लगेंगे. एक दिन में करीब 30 एकड़ एरिया में स्प्रे किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात ड्रोन में जीपीएस सेंसर होने की वजह से सारी फसलों पर एक समान स्प्रे होगा. टूटने की आशंका नहीं रहेगी. दवा भी फसलों की जड़ों तक पहुंचेगी.
कम पैसों में दी जाएगी ट्रेनिंग
महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय ने केंद्र से दो ड्रोन खरीदे है. ड्रोन से खेती के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. उन्हें ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. विश्वविद्यालय ट्रेनिंग के लिए 20-25 हजार या उससे भी कम चार्ज करने पर विचार कर रहा है.
मैपिंग और सर्वेक्षण के लिए भी होगा ड्रोन का इस्तेमाल
ड्रोन से स्प्रे की इस योजना को लेकर किसानों ने भी खुशी जताई है. स्प्रे के अलावा ड्रोन का इस्तेमाल खेत की मैपिंग और सर्वेक्षण में किया जा सकता है. खास बात ये भी है कि मैनुअली स्प्रे से छिड़काव के दौरान कीटनाशकों के संपर्क में आने से किसानों को कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता है. लेकिन ड्रोन्स से स्प्रे करने से इन समस्याओं से निजात मिल सकेगी.