देश की राजधानी दिल्ली से 281 किलोमीटर दूर एक शहर है जयपुर जो राजस्थान की राजधानी है. इस शहर की पहली पहचान तो पिंक सिटी यानि गुलाबी शहर से होती है लेकिन इस शहर की दूसरी पहचान है हवा महल जिसे हम सब बचपन से जनरल नॉलेज की किताब में पढ़ते आए हैं. हवा महल का निर्माण कराने वाले थे महाराज सवाई प्रताप सिंह जिनका आज जन्मदिन है.
इतिहास के पन्नों को पलटने पर हमें पता चलता है कि हमारे देश के राजा-महाराजाओं ने कुछ न कुछ ऐसा किया जिससे उन्हें याद किया जाता है. इसी वजह से उन्हें इतिहास के पन्नों में जगह मिलती है. ऐसे ही राजा थे सवाई प्रताप सिंह. जहां भी हवा महल और जयपुर का जिक्र होगा सवाई प्रताप सिंह का जिक्र जरूर होगा.
14 साल में मिल गया था सिंहासन
सवाई प्रताप सिंह का जन्म 2 दिसंबर 1764 को जयपुर में हुआ था. वे हिंदी के कवि भी थे. सवाई प्रताप सिंह के पिता का नाम माधोसिंह प्रथम था. मात्र 14 वर्ष की आयु में सिंहासनारूढ़ हो गए थे. युद्धों में अत्यधिक व्यस्त और रोगों से ग्रस्त होने के बाद भी उन्होंने अपने अल्प जीवन में कई काव्यों रचना की.
हवा महल...जिसका निर्माण सवाई प्रताप सिंह ने कराया था
सवाई प्रताप सिंह ने जयपुर के प्रसिद्ध हवा महल का निर्माण 1798 में कराया था. उस्ता लालचंद ने इसका डिजाइन किया था. 953 झरोखे वाले मशहूर हवा महल की खासियत ये है कि हर झरोखे से एक छोर से दूसरे छोर तक देखा जा सकता है. रंगीन शीशों का अनूठा शिल्प है. सूर्य की रोशनी रंगीन शीशो से होकर प्रवेश करती है तो पूरा कमरा इंद्रधनुषी रंग से भर जाता है. राजघराने की राजरानियों के लिए इस महल का निर्माण कराया गया था. काफी दूर से देखने पर यह महल भगवान कृष्ण के मुकुट की आकृति के समान दिखता है जैसा कि महाराज इसे बनवाना चाहते थे.
...जब महाराज ने कराई थी भगवान श्रीकृष्ण की शादी
महाराज सवाई प्रताप सिंह भगवान श्रीकृष्ण को बहुत मानते थे. कृष्ण में उनकी गहरी आस्था थी. उन्होंने एक बार अपने इष्टदेव भगवान कृष्ण का विवाह कराया था. ऐसा कहा जाता है कि पूरे विधि विधान के साथ यह विवाह संपन्न कराया गया था. महाराज ने इस आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. इतिहासकार बताते हैं कि पूरे नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया था और करीब सवा दो सौ साल पहले इस आयोजन में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे. शादी के चर्चे दूर-दूर तक हुए थे.