खेत की पगडंडी से चलकर राष्ट्रपति भवन की लाल कालीन पर नंगे कदमों को चलते देखना वाकई पूरे हिंदुस्तान के लिए सुखद रहा. कर्नाटक के होनाली गांव की तुलसी गौड़ा जब पद्मश्री अवॉर्ड लेने राष्ट्रपति के पास पहुंचीं तो उनके पैरों में चप्पल भी नहीं थे. धोतीनुमा कपड़े पहनी तुलसी जब अवॉर्ड लेने जा रही थीं तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन्हें दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार किया.
जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया के नाम से मशहूर हैं तुलसी
कर्नाटक के हलक्की आदिवासी समुदाय से आने वाली तुलसी ने अपनी पूरी जिंदगी पर्यावरण बचाने के लिए लगा दी. पौधों और जड़ी बूटियों पर अपने ज्ञान के कारण उन्हें जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया(Encyclopedia of Forest) के रूप में भी जाना जाता है. तुलसी को पहले कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. उन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड, राज्योत्सव अवॉर्ड और कविता मेमोरियल जैसे कई अवॉर्ड से नवाजा गया है.
30 हजार से ज्यादा पेड़ लगा चुकी हैं तुलसी
तुलसी गौड़ा बचपन से ही सामाजिक कार्यों में जुटी हैं. 6 दशकों से ज्यादा समय पर्यावरण को दे चुकीं तुलसी अब तक 30 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुकी हैं. गरीब परिवार में जन्मीं तुलसी ने कभी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की. बचपन से ही प्रकृति से प्रेम रहा और इसी वजह से वह अपना ज्यादातर समय जंगलों में ही बीतातीं. तुलसी एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वन विभाग में भी शामिल हुईं. बाद में उन्हें विभाग में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई.