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झारखंड के लालों ने किया कमाल, अब कचड़े से बनाई जाएगी गैस

आर्यन के मुताबिक, हर दिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की क्षमता वाला बायोगैस प्लांट जनवरी तक हर जगह लग जाएगा. इस उपकरण को बेंगलुरु में बनाया जा रहा है. इसकी मदद से 100 किलो कचरे से 8 किलो बायोगैस पैदा होगी, जिसका इस्तेमाल खाना बनाने में होगा.

Model of Biogas Plant Model of Biogas Plant
हाइलाइट्स
  • 100 किलो कचड़े से बनती है आठ किलो बायोगैस 

  • इसके लिए 9 लाख रुपये के फंड को मिल चुकी है मंजूरी

हॉस्टल और मेस में बचा हुआ खाना अब कचड़े में नहीं फेंका जाएगा.  इसके बजाय, इसका उपयोग खाना पकाने के लिए बायोगैस बनाने में किया जाएगा. यह पांच बीटेक छात्रों ने मिलकर सतत विकास पहल के हिस्से के रूप में कचरे से ऊर्जा पैदा करने के उद्देश्य से एक स्टार्टअप लॉन्च किया. इसकी स्थापना कुमार आर्यन, आदर्श तिर्की, गीत कुमार, नीतीश कुमार और राज कुमार सिंह ने की. ये सभी बीआईटी सिंदरी के छात्र हैं. झारखंड के प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों के परिसरों में इनके द्वारा बनाया गया प्लांट स्थापित किया जाएगा.

100 किलो कचड़े से बनती है आठ किलो बायोगैस 

इन छात्रों ने अपने कॉलेज में पहला प्रोजेक्ट लॉन्च किया था. हालांकि इसकी कल्पना एक साल पहले की गई थी, लेकिन टीम के गठन सहित जमीनी कार्य में कुछ समय लगा. आर्यन के मुताबिक, हर दिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की क्षमता वाला बायोगैस प्लांट जनवरी तक हर जगह लग जाएगा. इस उपकरण को बेंगलुरु में बनाया जा रहा है. इसकी मदद से 100 किलो कचरे से 8 किलो बायोगैस पैदा होगी, जिसका इस्तेमाल खाना बनाने में होगा. आर्यन ने कहा कि एलपीजी पर निर्भरता कम करने के लिए अन्य हॉस्टलों में इस तरह के और प्लांट लगाए जाएंगे.

इसके लिए 9 लाख रुपये के फंड को मिल चुकी है मंजूरी

आदर्श तिर्की ने कहा कि जीवाश्म ईंधन की कमी ने इस विचार को जन्म दिया है. "जीवाश्म ईंधन की कमी के साथ-साथ ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है. इसलिए, हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू करनी चाहिए और मौजूदा स्रोतों को बचाना चाहिए. तिर्की ने कहा, "हालांकि यह बायोगैस संयंत्र हमारी कंपनी की पहली परियोजना है, हम धीरे-धीरे दूसरे चरण के रूप में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की ओर बढ़ेंगे, जिसका अंतिम उद्देश्य शून्य अपशिष्ट और पर्यावरण के अनुकूल बीआईटी सुनिश्चित करना है." उत्पादन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख ने कहा कि स्टार्ट-अप बीआईटी सिंदरी एलुमनी एसोसिएशन द्वारा प्रायोजित है. 9 लाख रुपये के फंड को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है.