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यूक्रेन से आ रहे हिंदुस्तानी बच्चों ने गोली और बमबारी के बीच जान बचाकर अपने बेजुबान दोस्तों को भी निकाला

रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात कैसे हैं यह किसी से छुपा नहीं है. कीव और खारकीव में हो रही बमबारी के चलते अब वहां स्थानीय नागरिक और बड़ी संख्या में रहने वाले विदेशी छात्र यूक्रेन छोड़ रहे हैं. यह संख्या लाखों में हो सकती है. पश्चिमी यूक्रेन से लगने वाले यूरोपीय देशों की सीमाओं पर शरणार्थियों का जमावड़ा हो रहा है जिन्हें सुरक्षित निकाला जा रहा है.

Indian students with their pets in Ukraine Indian students with their pets in Ukraine
हाइलाइट्स
  • बम धमाकों की आवाज ने फैलाया डर 

  • बंकरों में रह रहे थे बच्चे

रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात कैसे हैं यह किसी से छुपा नहीं है. कीव और खारकीव में हो रही बमबारी के चलते अब वहां स्थानीय नागरिक और बड़ी संख्या में रहने वाले विदेशी छात्र यूक्रेन छोड़ रहे हैं. यह संख्या लाखों में हो सकती है. पश्चिमी यूक्रेन से लगने वाले यूरोपीय देशों की सीमाओं पर शरणार्थियों का जमावड़ा हो रहा है जिन्हें सुरक्षित निकाला जा रहा है. जाहिर है इसमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं. लेकिन यूक्रेन छोड़कर सुरक्षित यूरोप पहुंचने वाले शरणार्थियों में बहुत ऐसे भी हैं जो बेजुबान हैं. जो ना तो अपना दर्द कह सकते हैं ना दिखा सकते हैं.

रिफ्यूजीओं को लाने वाली हर ट्रेन में बच्चों महिलाओं के साथ उनके पालतू जानवर भी दिखाई दे रहे हैं. किसी के पास पालतू कुत्ता है तो किसी के पास बिल्ली या खरगोश. यूक्रेन में कोई भी अगर उनके परिवार के साथ कोई भी था तो लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उन्हें भी सुरक्षित निकाल लिया है.

बम धमाकों की आवाज ने फैलाया डर 
बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जो यूक्रेन से बाहर निकल रहे हैं उन्होंने अपने बेजुबान साथियों को गोली और बम के धमाकों के बीच अकेला नहीं छोड़ा. हरियाणा के कैथल में रहने वाले राहुल ने 3 महीने से खरगोश पाला था जिसका नाम बेला है. अब जब यूक्रेन में हालात खराब हुए तो जैसे तैसे वह पश्चिम यूक्रेन की सीमा तक पहुंचे लेकिन उन्होंने अपने 3 महीने के खरगोश को अकेला नहीं छोड़ा. राहुल उसे वापस अपने साथ हिंदुस्तान ले जाना चाहते हैं. 

बंकरों में रह रहे थे बच्चे
इसी तरह तमिलनाडु के रहने वाले मुकुल और आरती के पास लूसी स्कूबी हैं जो उनके साथ यूक्रेन में रहते हैं. मुकुल और आरती पिछले कई दिनों से कीव में बंकरों में रह रहे थे. यह दोनों बच्चे जब यूक्रेन से निकलकर हंगरी की सीमा पर पहुंचे तो इनके साथ इनके दोनों बेजुबान पालतू भी मौजूद थे. आरती ने बताया कि पिछले कई दिनों से लोग बंकरों में छुपे हुए थे और धमाकों की आवाज से उनका दिल बैठा जा रहा था. लेकिन जब उन्हें बाहर निकलने का रास्ता मिला तो वह अपने लूसी और स्कूबी को भी साथ ले आए. 

अपने पेट्स के लिए किया खाने का इंतजाम
यूक्रेन में छात्रावास में रहते हुए भारत के बच्चों ने कई बेजुबान दोस्त बनाए थे जिनके साथ ही उनका समय बीतता था. अब हालात खराब हुए तो उन्हें वतन लौटना पड़ रहा है लेकिन अब इसे इंसानियत की मिसाल कहिए या दोस्ती का जज्बा. यूक्रेन में रहने वाले नागरिकों के साथ भारतीय बच्चों ने तमाम जोखिम उठाकर खुद को सुरक्षित तो निकाला ही लेकिन अपने बेजुबान दोस्तों को भी अपने साथ ले आए. कई बच्चों ने खुद खाना नहीं खाया लेकिन अपने बेजुबान दोस्तों के लिए खाने का इंतजाम किया. अब वह अपने इन दोस्तों को लेकर हिंदुस्तान लौटना चाहते हैं. 

(आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट)