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Russia-Ukraine War: झंडा ऊंचा रहे हमारा.. यूक्रेन से लौटे छात्रों ने बताया तिरंगे ने बचाई जान

Vinnytsia से लौटे छात्र गूंजेश बताते हैं कि हमारा इलाका शुरू में सेफ जोन में था लेकिन फिर वहां भी हालात बहुत खराब होने लगे. टाइम टाइम पर सायरन बजते थे. पर्सनल कैब करके स्लोवाकिया पहुंचे. इंडियन एम्बेसी की व्यवस्था बॉर्डर क्रॉस करने के बाद बहुत अच्छी थी.

Indian students returning from Ukraine Indian students returning from Ukraine
हाइलाइट्स
  • इंडियन फ्लैग की वजह से हम बचे रहे

  • बॉर्डर क्रॉस करने में था रिस्क 

यूक्रेन से भारतीय छात्रों के लौटने का सिलसिला जारी है. छात्र अपने साथ बुरी यादें तो लेकर आ ही रहे हैं लेकिन छात्रों के पास कुछ ऐसे किस्से भी हैं जो भारतीय होने के नाते आपका सीना गर्व से भर देंगे. आपको इन छात्रों की अच्छे बुरे अनुभवों के कुछ किस्से सुनाते हैं.

इंडियन फ्लैग की वजह से हम बचे रहे
Vinnytsia से लौटे छात्र गूंजेश बताते हैं कि हमारा इलाका शुरू में सेफ जोन में था लेकिन फिर वहां भी हालात बहुत खराब होने लगे. टाइम टाइम पर सायरन बजते थे. पर्सनल कैब करके स्लोवाकिया पहुंचे. इंडियन एम्बेसी की व्यवस्था बॉर्डर क्रॉस करने के बाद बहुत अच्छी थी. शहर में रसियन ट्रूप्स घूमते थे लेकिन हमारे पास इंडियन फ्लैग था इसलिए हमें नुकसान नहीं पहुंचाते थे. रास्ते मे कैब पर भी इंडियन फ्लैग लगाकर चलते थे. लोकल लोगों ने भी बहुत मदद की. सभी बॉर्डर्स पर यूक्रेन के लोगों को प्राथमिकता दी जाती थी. इंडिया, वेस्ट इंडीज, नाइजीरिया के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था.

बॉर्डर क्रॉस करने में था रिस्क 
शिवांगी और जतिन दोनों भाई-बहन है. दोनों ने बताया कि बॉर्डर क्रॉस करने में बहुत रिस्क था. रास्ते में हमे बहुत समस्या हुई. ठंड बहुत थी जगह-जगह आग जल रही थी. स्लोवाकिया बॉर्डर पर ज्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. शिवांगी की मां कहती है कि हम बहुत डर गए थे. शिवांगी के पिता अस्थमा के मरीज हैं इसलिए उन्हें न्यूज़ देखने से मना कर दिया था. शिवांगी भी बताती हैं कि रास्ते में सभी इंडियन स्टूडेंट फ्लैग लेकर चल रहे थे. इसी वजह से चाहे यूक्रेन हो या रूस किसी के भी सैनिकों ने हमे निशाना नहीं बनाया.

हमने कभी नहीं देखा ऐसा मंज़र- पायल
पायल दुआ कीव में थी. सब कुछ बंद हो गया था. पायल ने बताया कहा, "हम 28 फरवरी को वहां से निकले. ट्रेन में बहुत भीड़ थी कई लोग ट्रेन में चढ़ने के चक्कर में घायल भी हो गए थे. हमने अपनी पूरी ज़िंदगी में ऐसा मंजर नहीं देखा था. भारत सरकार ने हमसे कहा था कि जहां भी जाये इंडियन फ्लैग के साथ जाएं. हम तिरंगा लेकर ही आगे बढ़ते थे इससे हमें बहुत मदद मिली."