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कभी पर्चे बांटे तो कभी रेस्टोरेंट में की सफाई, आज इंटरनेशनल टैटू आर्टिस्ट बन गिनीज बुक में दर्ज कराया नाम

लोकेश को किसी के हाथ पर बना हुआ टैटू बहुत पसंद आया और उन्होंने भी ठान लिया कि वह अब से स्मृतियों को मानसिक पटल पर नहीं बल्कि शरीर पर उकेरेंगे. बस फिर क्या था कई काम करते हुए उन्होंने टैटू आर्टिस्ट बनने की राह निकाली अपनी सेविंग से टैटू की मशीन खरीदी.

लोकेश वर्मा लोकेश वर्मा
हाइलाइट्स
  • तरह-तरह के काम करते हुए लोकेश ने अपनी सेविंग से टैटू की मशीन खरीदी.

  • उन्होंने मानव शरीर पर सबसे ज्यादा झंडे गुदवाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.

इंटरनेशनल टैटू आरर्टिस्ट लोकेश वर्मा की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है. दिल्ली के रहने वाले लोकेश ने अपना सफर शून्य से शुरू किया था लेकिन आज अपनी मेहनत और लगन के कारण वे आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं. लोकेश ने अपने शुरुआती दिनों में मैकडॉनल्ड्स में फर्श साफ करने तक का काम किया, लेकिन आज वो फर्श से अर्श तक का सफर तय कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज करा चुके हैं.  

2021 तक तेजी से आगे बढ़ते हुए, लोकेश अपने रंगीन टैटू और चित्रों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं. वो तीन स्टूडियो के मालिक हैं.  उन्होंने मानव शरीर पर सबसे ज्यादा संख्या में (199) झंडे गुदवाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. वह भारत के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय टैटू उत्सव हार्टवर्क टैटू फेस्टिवल के संस्थापकों में से एक हैं.   

कमाई के लिए लोकेश ने पर्चे बांटने का काम शुरू किया

लोकेश एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. पिता फौज में थे और मां गृहिणी. 12वीं पास करने के बाद लोकेश ने ​बी कॉम की पढ़ाई की. हालांकि वे पढ़ाई में भी कभी अव्व्ल नहीं आए और न ही दूसरों की तरह पढ़ाई में दिलचस्पी दिखाई. इसलिए कॉलेज के बाद वे हर वो काम करने के लिए तैयार थे जिससे उन्हें पैसा मिले. एक दिन किसी ने उन्हें बताया कि कॉलेज में किसी कार्यक्रम से जुड़े पर्चे बांटने हैं जिसके लिए उन्हें पैसे दिए ​जाएंगे. कमाई को तो कुछ साधन था नहीं इसलिए लोकेश ने पर्चे बांटने का काम शुरू किया.  

लोकेश वर्मा का सफर
लोकेश वर्मा का सफर

फिल्मों की सीडी बेचने का भी काम किया

कुछ समय बाद उन्हें दिल्ली के मैक डॉनल्ड्स रेस्टोरेंट में नौकरी मिल गई. नौकरी भी कोई खास नहीं थी. वहां पर उन्हें फ्लोर मॉपिंग का काम मिला.  इसके बाद उन्होंने फिल्मों की सीडी बेचने का भी काम शुरू किया. यह धंधा अच्छा चल रहा था इसीलिए लोकेश ने मार्केटिंग की तरफ अपना रुख अपनाया. लोकेश ने फैसला किया कि वे एमबीए करेंगे. एमबीए के दौरान वे सुबह 8:00 से 12 तक क्लास में रहते थे जिसके बाद शाम 7:00 बजे तक ऑफिस में रहते थे और एक्स्ट्रा पैसे कमाने के लिए बचा हुआ समय कैफे रिस्ट्रो में डीजे का काम कर बिताते थे. 

सेविंग से टैटू की मशीन खरीदी

इस बीच उन्हें अचानक से किसी के हाथ पर बना हुआ टैटू बहुत पसंद आया और उन्होंने भी ठान लिया कि वह अब से स्मृतियों को मानसिक पटल पर नहीं बल्कि शरीर पर उकेरेंगे. बस फिर क्या था कई काम करते हुए उन्होंने टैटू आर्टिस्ट बनने की राह निकाली अपने बचे हुए सेविंग से टैटू की मशीन खरीदी. उन्हें यहां तक नहीं पता था कि टैटू मशीन में सुई किस तरह से लगाई जाती है लेकिन टैटू आर्टिस्ट बनना था और उन्हें केवल यही पता था कि एक बेहतरीन टैटू आर्टिस्ट बनना है. इसलिए पहला टैटू उनके पापा ने ही बनवाया . इसके बाद उन्होंने दोस्तों को पकड़-पकड़ कर फ्री में भी टैटू बनाए.  इन सभी चीजों के बीच सिर्फ टैटू ही एक ऐसी चीज थी जिसके लिए वह किसी को भी पैसे लेने की बजाय देने को तैयार थे. धीरे-धीरे जैसे उनकी टैटू बनाने में रुचि बढ़ती गई वैसे-वैसे उन्होंने काम सीखा भी और किया भी.  

गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम 

अगले कुछ सालों तक लोकेश ने मशीन का इस्तेमाल कर असंख्य टैटू बनाना सीखा. यहां तक ​​कि उन्होंने अपने दोस्तों के हा​थ पर टैटू बनाने के लिए खुद अपनी जेब से उन्हें पैसे दिए. 2008 में, उन्होंने दक्षिण दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में अपना स्टूडियो खोला और तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज उनकी फैन फॉलोईंग लिस्ट बहुत ही लंबी है, जिसमें तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर और रेमो डिसूजा जैसी बॉलीवुड हस्तियां शामिल हैं. शिखर धवन, इशांत शर्मा और उमेश यादव जैसे क्रिकेटर भी उन्हीं से टैटू बनवाते हैं.  

लोकेश ऐसे समय में इस काम में उतरे जब लोगों में टैटू की समझ और शौक कम था. कई बार उनके रिश्तेदारों ने और पड़ोसियों ने उन पर कई तरह की फब्तियां कसी. पर लोकेश ने इन सभी बातों को अनसुना किया और अपनी लगन के साथ केवल अपने काम पर ध्यान दिया.  आज दिल्ली में डेविल्स टैटूज की एक बहुत बड़ी चैन है और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया जा चुका है.