लोअर मिडिल क्लास फैमिली में जन्म हुआ. पिता फलों का जूस बेचते थे. कमाई का जरिया सिर्फ यही था. बचपन में पिता के काम में हाथ बंटाया. फिर बाद में ठेले पर कैसेट बेचा. लेकिन, संगीत को लेकर दिलचस्पी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने आगे चलकर कैसेट इंडस्ट्रीज के नाम से अपनी कंपनी शुरू की, जिसे टी-सीरीज के नाम से जाना जाता है. साधारण परिवार से उठकर भक्ति संगीत की दुनिया में अपना नाम कमाने वाले थे गुलशन कुमार. भले गुलशन कुमार हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके फर्श से अर्श तक के सफर का हर दौर लोगों के लिए मोटिवेशन है.
दूसरी कंपनियों से सस्ते में कैसेट बेचते थे गुलशन कुमार
पिता के साथ काम में हाथ बंटाने के दौरान गुलशन कुमार की बिजनेस में दिलचस्पी बढ़ी. उनके बारे में यह कहा जाता है कि जब वे जूस की दुकान में काम करते करते ऊब गए तो पिता ने एक दुकान खरीदी जिसमें वे कैसेट्स बेचते थे. गुलशन कुमार ने ऑरिजिनल गानों को दूसरी आवाज में रिकॉर्ड करते और उसे ठेले पर बेचने निकल पड़ते. दूसरी कंपनियों के कैसेट 28 से 30 रुपए में मिलती थी वहीं गुलशन कुमार अपने कैसेट 15 से 18 रुपए में बेचा करते थे.
लोग गुलशन कुमार की आवाज को खूब पसंद करते और उनकी खूब तारीफ करते. आज की युवा पीढ़ी से लेकर बुजुर्ग तक सभी ने गुलशन कुमार की भक्तिमय गीतों का आनंद लिया है. मंदिरों से लेकर कई धार्मिक आयोजनों में गुलशन कुमार के गीत ही बजते थे और आज भी बजा करते हैं. एक दौर था जब लोगों की सुबह ही गुलशन कुमार के गीतों से होती थी.
'टी-सीरीज' की स्थापना की
ऑडियो कैसेट में सफलता के बाद गुलशन कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया. वे मुंबई चले गए. इसके बाद गुलशन कुमार म्यूजिक और बॉलीवुड फिल्मों के अलावा हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स को भी प्रोड्यूस करने लगे. गुलशन कुमार ने 'टी-सीरीज' की स्थापना की जो आज हिंदी सिनेमा की संगीत और फिल्म निर्माण की बड़ी कंपनियों में से एक है.
कई गायकों को ब्रेक दिया
गुलशन कुमार ने सोनू निगम सहित कई गायकों को ब्रेक दिया. धार्मिक गीतों के जरिये पहचान बनाने वाले गुलशन कुमार दान-पुण्य के लिए भी काफी चर्चा में रहते थे. उन्होंने मां वैष्णो देवी में एक भंडारे की स्थापना की जो आज भी वहां आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है. गुलशन कुमार की कहानी जीरो से लेकर हीरो बनने तक की है. देश-दुनिया में लोग आज उनका नाम लेते हैं, इसके लिए गुलशन कुमार अपनी जिंदगी में कड़ी मेहनत की थी. तभी जाकर उन्होंने बड़ा मुकाम पाया था.