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Successful Farmer: आलू की खेती कर बदली किस्मत, विदेश की कमाई भी की फेल, सालाना 2.5 करोड़ से ज्यादा कमा रहा है यह किसान

Successful Farmer: यह कहानी है पंजाब के बोहर सिंह गिल की, जो 200 एकड़ से ज्यादा जमीन पर खेती करके 2.5 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. 37 एकड़ जमीन उनकी अपनी है और बाकी जमीन उन्होंने लीज पर ली है.

Potato Farming Potato Farming
हाइलाइट्स
  • पारंपरिक फसलों की बजाय कैश क्रॉप्स की खेती 

  • स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम को अपनाया 

पंजाब में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां कोई विदेश जाकर कमाने या वहां बसने का सपना न देखता हो. पंजाब के ज्यादातर युवा विदेश जाना चाहते हैं लेकिन इस सबके बीच ऐसे भी बहुत से लोग हैं जिन्हें डॉलर से ज्यादा अपने देश की मिट्टी प्यारी है. आज हम आपको बता रहे हैं पंजाब के एक ऐसे बेटे के बारे में जिन्होंने विदेश जाने की बजाय पंजाब में ही रहने की ठानी और आज न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि दूसरे लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. 

यह कहानी है फरीदकोट जिले के सैदके गांव के रहने वाले किसान बोहर सिंह गिल की. बोहर सिंह ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना से एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन की. उनके बहुत से दोस्त डॉलर कमाने के लिए विदेशों का रुख करने लगे. लेकिन बोहर सिंह अपने गांव लौट आए और यहां अपनी पैतृक जमीन पर मेहनत करने की ठानी. 

पारंपरिक फसलों की बजाय कैश क्रॉप्स की खेती 
बोहर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने शुरुआत में पारंपरिक गेहूं और धान की खेती की. हालांकि, बोहर बहुत उत्साही थे और उन्होंने कुछ अलग करने की सोची. उन्होंने अपनी दो एकड़ में जमीन पर आलू की खेती शुरू कर दी. आलू की खेती में उन्हें ज्यादा अच्छा  परिणाम मिला, जिससे खुश होकर उन्होंने इस पर फोकस किया. 

बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, बोहर ने डायमंड और एलआर जैसी शुगर-फ्री आलू की किस्मों की खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन के साथ-साथ और 200 एकड़ जमीन पट्टे पर ली. धीरे-धीरे बोहर मल्टीपल क्रॉप उगाने लगे. उनके फसल पोर्टफोलियो में अब आलू के अलावा, मक्का, और मूंग जैसी फसलें भी शामिल हैं. वह प्रीमियम बासमती चावल की खेती भी करते हैं. 

स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम को अपनाया 
फसलों के अलावा बोहर सिंह ने दूसरी जरूरी बातों पर भी फोकस किया. उन्होंने अपनी सिंचाई के तरीकों को बदला. सिंचाई के लिए उन्होंने दो साल पहले 40 एकड़ से शुरुआत करते हुए स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम अपनाया.  इससे उन्हें अच्छे परिणाम मिले. आलू की खेती में पानी की खपत 50 प्रतिशत से ज्यादा कम हो गई. यह तरीका मिट्टी को हवा से मिलने वाली नाइट्रोजन से भी समृद्ध करता है, जो पानी के दबाव के साथ मिट्टी में आती है, जिससे यूरिया की खपत 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है और फसल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार होता है. 

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि प्रति एकड़ आलू की पैदावार में 25 क्विंटल की वृद्धि और प्रति एकड़ मक्के के उत्पादन में 10 क्विंटल की वृद्धि हुई है. उन्होंने स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए उपलब्ध सब्सिडी के बारे में भी बताया. उन्होंने कहां कि सरकार ने पुरुष किसानों के लिए 80 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 90 प्रतिशत का प्रावधान किया है. उन्होंने दूसरे किसानों को योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया. 

सस्टेनेबल तरीकों से कर रही हैं खेती
गिल अपने खेतों की पराली भी नहीं जलाते हैं. वह पराली को मिट्टी में मिला देते हैं, जिससे मिट्टी में कार्बनिक मैटर की बढ़ोतरी हुई और इससे पैदावार बढ़ी है. उनके पास पराली को मैनेज करने के लिए मशीनें हैं. उन्होंने अपनी खेती की कमाई से ही सभी जरूरी एडवांस्ड मशीनरी खरीदी हैं. वह रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं, लगभग 250 लोगों को हर साल 3-4 महीने के लिए अस्थायी रोजगार और लगभग 20 लोगों को स्थायी रोजगार दे रहे हैं. 

सभी खर्चों को पूरा करने के बाद वह प्रति एकड़ 1 लाख रुपये का प्रोफिट कमा लेते हैं. उनका सालाना कमाई 2.5 करोड़ रुपये है. वह गर्व से कहते हैं. कि उनकी आय विदेश में डॉलर में कमा रहे उनके दोस्तों से ज्यादा है. उनका कहना है कि पंजाब में खेती में अपार संभावनाएं हैं. अगर आप मेहनत करना जानते हैं और नयी सीखने-करने को तैयार हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी.