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Heatwave in Delhi: गर्मी का कहर! हीटवेव के डेंजर जोन में आता है 90% भारत, स्टडी में हुआ खुलासा

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुई एक रिसर्च में ये पाया गया है. भारत का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हीटवेव के खतरे वाले क्षेत्र में आता है. जिसमें दिल्ली खास तौर पर ज्यादा प्रभावित है.

हीटवेव हीटवेव
हाइलाइट्स
  • 2050 तक और ज्यादा बढ़ेगी हीटवेव

  • भारत में हीटवेव से होने वाली मौतें

दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में पारा बढ़ता ही जा रहा है. इसी बीच कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि भारत का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हीटवेव के खतरे वाले क्षेत्र में आता है. जिसमें दिल्ली खास पर मौसम की स्थिति के प्रति संवेदनशील है. अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि दिल्ली सरकार ने हीटवेव से निपटने के लिए जो भी इंतजाम किए हैं, वो काफी नहीं हैं, क्योंकि दिल्ली में हाई हीट वेव का रिस्क काफी ज्यादा है.

2050 तक और ज्यादा बढ़ेगी हीटवेव
भारत उन देशों में से एक है जो गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित और संवेदनशील हैं. अब गर्म दिनों के साथ-साथ रातें भी काफी गर्म होने लगीं हैं, और इसके 2050 तक और ज्यादा बढ़ने की संभावना है. इस बार हीटवेव के पहले आने, लंबे समय तक रहने और अधिक बार होने का भी अनुमान लगाया गया है. अध्ययन में ये भी कहा गया है कि इस हीट वेव के कारण भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने से भी बाधित हो रहा है.

भारत में हीटवेव से होने वाली मौतें
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन द्वारा वैज्ञानिक कमलजीत रे, एस एस रे, आर के गिरि और ए पी डिमरी के साथ लिखे गए एक पेपर के अनुसार, हीटवेव ने भारत में 50 वर्षों में 17,000 से अधिक जानें जा चुकी हैं. 2021 में प्रकाशित पेपर में कहा गया था कि 1971-2019 तक देश में लू की 706 घटनाएं हुईं. 16 अप्रैल को, नवी मुंबई, महाराष्ट्र में एक सार्वजनिक समारोह में भाग लेने वाले 13 लोगों की हीट स्ट्रोक से मृत्यु हो गई. जिसके बाद ये घटना देश के इतिहास में हीटवेव से होने वाली सबसे अधिक मौतों में से एक बन गई.

हीटवेव को कैसे मापा जाता है?
ताप सूचकांक (HI) तापमान और आर्द्रता (Humidity) दोनों को ध्यान में रखते हुए मानव शरीर को कितना गर्म महसूस होता है, इससे मापी जाती है. जलवायु भेद्यता सूचकांक (climate vulnerability index) एक समग्र सूचकांक है जो हीटवेव के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए सामाजिक आर्थिक, आजीविका और जैव-भौतिक कारकों के लिए विभिन्न संकेतकों का उपयोग करता है.

अध्ययन में क्या पाया गया?
अध्ययन से पता चला है कि 90 प्रतिशत से अधिक भारत हीट इंडेक्स के माध्यम से हीटवेव प्रभावों की "बेहद सतर्क" या "खतरे" श्रेणी में है. CVI रैंकिंग में जिन राज्यों को "निम्न" के रूप में वर्गीकृत किया गया था, उन्हें "खतरे" HI श्रेणियों में पाया गया, यह दर्शाता है कि CVI द्वारा अनुमानित की तुलना में हीटवेव ने पूरे भारत में अधिक लोगों को चरम जलवायु जोखिम में डाल दिया है. लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि सीवीआई का उपयोग गर्मी से संबंधित जलवायु परिवर्तन के वास्तविक बोझ को कम कर सकता है, और सुझाव दिया कि भारत को एसडीजी को पूरा करने के लिए अपनी जलवायु कमजोरियों का पुनर्मूल्यांकन करने पर विचार करना चाहिए.

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत गर्म हवाओं के प्रभाव को तुरंत दूर करने में विफल रहता है, तो यह सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को धीमा कर सकता है. इसमें कहा गया है कि मध्य, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व जिलों में विकास की उच्च तीव्रता गर्मी द्वीप निर्माण के माध्यम से एचआई जोखिमों को और बढ़ा सकती है.

इस महीने की शुरुआत में, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान की भविष्यवाणी की थी. 2023 में, भारत ने 1901 में रिकॉर्ड-कीपिंग शुरू होने के बाद से अपने सबसे गर्म फरवरी का अनुभव किया. हालांकि, मार्च में सामान्य से अधिक बारिश के कारण तापमान नियंत्रण में था. मार्च 2022 अब तक का सबसे गर्म और 121 वर्षों में तीसरा सबसे सूखा वर्ष था. इस साल 1901 के बाद से देश का तीसरा सबसे गर्म अप्रैल भी देखा गया.