scorecardresearch

जानिए Great Indian Bustard के बारे में, जिसके संरक्षण की बात कर रहा है सुप्रीम कोर्ट

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला बस्टर्ड है. दूर से देखने पर यह शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है. यह पक्षी उड़ने वाले पक्षियों में सबसे भारी है.

Great Indian Bird (Photo: Instagram) Great Indian Bird (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • गोडावण राजस्थान का राज्य पक्षी है

  • यह जैसलमेर के मरू उद्यान व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 'प्रोजेक्ट टाइगर' जैसे 'प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' संरक्षण कार्यक्रम विकसित करने के बारे में सरकार से जवाब मांगा ताकि गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों के सामने आने वाले संकट पर ध्यान दिया जा सके. 

सरकार द्वारा 'प्रोजेक्ट टाइगर' को दुनिया में किसी एक प्रजाति के लिए सबसे सफल संरक्षण कार्यक्रमों में से एक माना जाता है. इसलिए अदालत ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स या गोडावण के संरक्षण का सवाल उठाया. दरअसल, गुजरात और राजस्थान में बिजली पारेषण लाइनों के आड़े-तिरछे रहने के कारण बहुत सी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स या गोडावण की मौते हुई हैं. 

इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई हैं. इस याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा. और उन्हें प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड शुरू करने की सलाह दी. 

बहुत ही कम बचे हैं गोडावण 
भारत में मुख्य तौर पर राजस्थान और गुजरात में पाया जाने वाला यह पक्षी उड़ने वाले पक्षियों में सबसे अधिक वजनी है. यह आकार में भी बड़ा है और दूर से देखने पर शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है. आपको बता दें कि गोडावण राजस्थान का राज्य पक्षी है. यह राज्य में जैसलमेर के मरू उद्यान व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है.  

गोडावण स्वभाव से बेहद शर्मीले होते हैं और इसलिए ये सघन घास में रहना पसंद करते हैं. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, गोडावण विलुप्त होने के कगार पर हैं. इस प्रजाति के मुश्किल से 50 से 249 पक्षी जीवित हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता 
अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन ने गुजरात और राजस्थान के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे चार सप्ताह के भीतर एक व्यापक अभ्यास करें और पता लगाएं कि बर्ड डायवर्टर (पक्षियों को हटाने के काम आने वाला यंत्र) लगाया जा सकता है या नहीं. इस यंत्र को लगाने का उद्देश्य इन पक्षियों को बचाना है. 

साथ ही, बेंच ने यह भी कहा है कि गुजरात और राजस्थान में हाईटेंशन लाइन की कुल लंबाई का आकलन करें. यहां पर खुले में लगे बिजली के तारों को भूमिगत किया जाए ताकि पक्षियों को करंट न लगे. कोर्ट ने दोनों सरकारों से छह हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.