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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहा उम्मीदवार बन सकता है जज

नैन के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परीक्षा पास करने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, इसलिए वक्त के साथ उनकी ये बीमारी ठीक हो जाएगी. 17 नंवबर को अदालत ने नैन की कुशलता की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे उम्मीदवार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • दिल्ली न्यायिक सेवा में जारी रख सकता है अपनी उम्मीदवारी

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में बाइपोलर ड‍िसऑर्डर से जूझ रहे एक उम्मीदवार को जज बनाए जाने की इजाजत दे दी है. करीब 11 साल पहले 25 साल की भव्या नैन को बाइपोलर डिसऑर्डर का पता चला था. उनकी इस बीमारी को देखते हाई कोर्ट ने दिल्ली न्यायिक सेवा में उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया था. लेकिन ताजा फैसले के तहत अब भव्या नैन का चयन बरकरार रहेगा.

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की बेंच ने एम्स (AIIMS) के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद निर्देश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि उम्मीदवार न्यायिक अधिकारी के पद के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पाएगा, जिसमें उनका चयन हुआ है. 

हाईकोर्ट ने उम्मीदवारी बर्खास्त की थी

2016 के एक एक्ट में मानसिक बीमारी को विकलांगता के रूप में शामिल किया गया था. इस अधिनियम के तहत योग्य उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाता है. हालांक‍ि हाईकोर्ट ने ये तर्क देते हुए उनकी उम्मीदवारी को खार‍िज कर दिया था कि वो पूरी जिंदगी दवाओं पर निर्भर हैं. लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनकी विकलांगता पूरी जिंदगी के लिए नहीं है. भविष्य में उनकी हालात में सुधार आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं. अगस्त 2020 में  सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी, और अपना अंतिम फैसला सुनाने से पहले एक पद खाली रखने को कहा था. 

परीक्षा पास करने के बाद बढ़ा आत्मविश्वास- नैन के वकील 

नैन के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परीक्षा पास करने के बाद उनका आत्मविश्वास  बढ़ा है, इसलिए वक्त के साथ उनकी ये बीमारी ठीक हो जाएगी. 17 नंवबर को अदालत ने नैन की फ‍िटनेस की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था. मेडिकल टीम ने अपने फैसले को पूरी तरह से निष्पक्ष रखा और बताया कि भव्याय नैन बाइपोलर डिसऑर्डर से गुजर रही हैं. लेकिन इसका उनकी जिंदगी और कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर?
बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक विकार होता है जो डोपामाइन हार्मोन में असंतुलन होने की वजह  होता है. इस असंतुलन की वजह से व्यक्ति के मूड या बर्ताव में बदलाव आने लगते हैं.

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी में किसी व्यक्ति के सोच का पता लगाया जा सकता है, इसके बाद  जरूरत पड़ने पर दवाएं दी जाती हैं. इस मामले में भी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से भव्या नैन की जांच की गई थी.