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Homosexuality in ancient India: 5 जजों की बेंच 18 अप्रैल को करेगी समलैंगिकता मामले पर सुनवाई, जानिए प्राचीन भारत में कहां-कहां है इसका जिक्र

सुप्रीम कोर्ट में अब 18 अप्रैल को समलैंगिक विवाह की वैधता पर सुनवाई होगी. इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा पेश किया. इसमें केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने का विरोध किया.

प्राचीन भारत में भी है समलैंगिकता का जिक्र प्राचीन भारत में भी है समलैंगिकता का जिक्र
हाइलाइट्स
  • महाभारत में भी है समलैंगिकता का जिक्र

  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी है उल्लेख

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब 18 अप्रैल को समलैंगिक विवाह का मामला सुनेगा.

इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा पेश किया. इसमें केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने का विरोध किया. हालांकि कोर्ट में सरकार ने ये कहा कि ये गैरकानूनी नहीं है. केंद्र सरकार के इस हलफनामे के बाद देशभर में समलैंगिकता को लेकर फिर से एक बहस छिड़ गई है. ऐसे में अगर आप इतिहास के पन्नों को पलटकर देखेंगे तो पाएंगे रामायण काल से लेकर खजुराहो तक में इसका जिक्र है. तो चलिए आज आपको इतिहास के ऐसे 10 तथ्य बताते हैं, जहां पर साफ-साफ समलैंगिकता का जिक्र किया गया है. 

1. खजुराहो के मंदिरों में, छवियां प्रदर्शित की गई है, उनमें महिलाओं की अन्य महिलाओं को कामुक रूप से गले लगाने और पुरुषों को एक-दूसरे के जननांगों को प्रदर्शित करने की छवियां हैं. जिसको लेकर विद्वानों ने ये माना है कि इन तस्वीरों में ये लोग समलैंगिक कृत्यों में लिप्त हैं.

2. वाल्मीकि रामायण में, भगवान राम के भक्त और साथी हनुमान के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने राक्षस महिलाओं को अन्य महिलाओं को चूमते और गले लगाते देखा था.

3. वहीं रामायण में दिलीप नाम के एक राजा की कहानी है, जिसकी दो पत्नियां थीं. वह बिना वारिस छोड़े मर गया. कहानी कहती है कि भगवान शिव विधवा रानियों के सपनों में प्रकट हुए और उनसे कहा कि अगर वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो उन्हें एक बच्चा होगा. रानियों ने भगवान शिव के कहे अनुसार किया और उनमें से एक गर्भवती हो गई. उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया, जो आगे चलकर प्रसिद्ध राजा भगीरथ बना, जो "गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने" के लिए जाना जाता था.

4. महाभारत में भी एक ट्रांसजेंडर योद्धा शिखंडिनी के बारे में एक दिलचस्प कहानी है, जो भीष्म की हार और हत्या के लिए जिम्मेदार है. शिखंडिनी राजा द्रुपद की एक बेटी थी, जिसने उसे हस्तिनापुर के शासक कौरवों से बदला लेने के लिए एक राजकुमार के रूप में पाला था. द्रुपद ने शिखंडिनी का विवाह भी एक स्त्री से करा दिया. जब उसकी पत्नी को सच्चाई का पता चला, तो उसने विद्रोह कर दिया. जिसके बाद शिखंडिनी को राम में मर्दानगी का वरदान मिला. उसके शिखंडिनी अब से एक उभयलिंगी की तरह रहने लगी. उभयलिंगी यानी वो व्यक्ति जिसमें नर और मादा दोनों के यौनांग या लक्षण हों.

5. वहीं मत्स्य पुराण के अनुसार, दूधिया समुद्र के महान मंथन के दौरान, भगवान विष्णु ने राक्षसों को छलने के लिए एक सुंदर स्त्री, मोहिनी का रूप धारण किया ताकि देवता सभी अमृत (समुद्र मंथन से प्राप्त अमर रस) पी सकें. इस बीच, भगवान शिव ने विष्णु को मोहिनी के रूप में देखा और तुरंत उन पर मोहित हो गए. उनके मिलन से एक बच्चे का जन्म हुआ - भगवान अयप्पा.

6. एक अन्य शास्त्र, नारद पुराण में धारा 377 में वर्णित "अप्राकृतिक अपराधों" के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. उसमें ये कहा गया है अगर कोई महिला या पुरुष किसी जानवर या सेम सेक्स के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे पापी माना जाएगा, और उसे नर्क में जगह मिलेगी. इसका मतलब है कि इतिहास में समलैंगिकता का जिक्र मिलता है. 

7. प्रसिद्ध कानून संहिता, मनुस्मृति में समलैंगिक पुरुषों और महिलाओं को सजा का प्रावधान है. मनुस्मृति में कहा गया है कि अगर कोई लड़की दूसरी लड़की के साथ यौन संबंध बनाती है, तो वह दो सौ सिक्कों और दस कोड़ों के जुर्माने की पात्र होती है. लेकिन अगर एक परिपक्व महिला किसी लड़की के साथ समलैंगिक यौन संबंध बनाती है, तो सजा के तौर पर उसका सिर मुंडवा दिया जाना चाहिए या उसकी दो उंगलियां काट दी जानी चाहिए. साथ ही स्त्री को भी गधे पर बैठाना चाहिए. 

8. समलैंगिक पुरुषों के मामले में मनुस्मृति कहती है कि दो पुरुषों के बीच यौन संबंध से जाति का नुकसान होता है. यदि कोई पुरुष किसी अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध बनाता है या महिलाओं के साथ एनल या ओरल सेक्स करता है तो वह "दर्दनाक ताप व्रत" के अनुसार दंड का भागी है.

9. वात्स्यायन के कामसूत्र का नौवां अध्याय - लगभग चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में रचित, मौखिक यौन कृत्यों (औपरिष्टक), समलैंगिकता और ट्रांसजेंडरों (तृतीया प्रकृति) के बीच इसी तरह की गतिविधियों के बारे में बात करता है. हालांकि, पुस्तक किसी भी प्रकार के समलैंगिकता का समर्थन नहीं करती है.

10. कौटिल्य के अर्थशास्त्र - राजनीति पर एक ग्रंथ - में भी समलैंगिकता का उल्लेख है. लेकिन पुस्तक में ये साफ लिखा है कि समलैंगिकता में लिप्त लोगों को दंडित करना राजा का कर्तव्य है, क्योंकि समलैंगिक लोग समाज की बुराई हैं.

डिस्क्लेमर- इस खबर में दिए गए सभी तथ्य प्राचीन भारतीय ग्रंथ, शिलालेख और मंदिर की दीवारों पर बनाए गए चित्रों के संदर्भ में हैं. हम इनका बिलकुल भी समर्थन नहीं करते हैं.