
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी वाहनों के लिए कलर कोडेड स्टिकर (Colour-Coded Sticker) को अनिवार्य कर दिया है. इस आदेश के अनुसार, अब किसी भी वाहन को पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC), व्हीकल ओनरशिप ट्रांसपोर्टेशन, ओनरशिप ट्रांसफर, डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट जारी करने से पहले इस स्टिकर को अनिवार्य रूप से लगाना होगा.
कलर-कोडेड स्टिकर की जरूरत क्यों है?
कलर कोडेड स्टिकर गाड़ियों के फ्यूल टाइप की पहचान में मदद करेगा और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया को आसान बना देगा.
इसका मुख्य उद्देश्य पुराने वाहनों की पहचान कर उन्हें समय पर हटाना है. नियमों के अनुसार, 10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन दिल्ली-एनसीआर में नहीं चल सकते. इस स्टिकर से इन वाहनों की पहचान आसान होगी और प्रशासन उचित कार्रवाई कर सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसके प्रभाव
जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने पर्यावरणविद् और वकील एम.सी. मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर यह आदेश दिया है. कोर्ट ने पाया कि 1 अप्रैल 2019 को यह नियम लागू होने के बावजूद, केवल 30% वाहनों ने इसे अपनाया था.
अब इस आदेश के अनुसार:
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया कि इस संबंध में पहले ही 23 जनवरी 2024 को परिवहन विभाग द्वारा आदेश जारी किया जा चुका है. यह आदेश सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTO) और ट्रैफिक विभाग को भेजा गया था. सरकार ने यह भी कहा कि मोटर वाहन डीलरों को स्टिकर लगाने का अधिकार दिया गया है और वाहन मालिकों को इसे जल्द से जल्द अपनाने की अपील की गई है.
कलर कोडेड स्टिकर कैसे ले सकते हैं?
कलर कोडेड स्टिकर और हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) लेने के लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा:
कलर कोडेड स्टीकर की मदद से प्रशासन को नियमों का पालन न करने वाले वाहनों की पहचान करने में आसानी होगी. और पुराने वाहनों पर जल्द कार्रवाई की जा सकेगी. साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाया जा सकेगा. इसके अलावा, कम प्रदूषण फैलाने वाले फ्यूल जैसे सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा.
नियम न माने वाले को क्या?
अगर कोई गाड़ी बिना कलर कोडेड स्टिकर के पाई जाती है, तो उसे मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MV Act) की धारा 192 के तहत सजा दी जाएगी
यह सुनिश्चित करना वाहन मालिकों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने वाहनों पर उचित स्टिकर लगवाएं और समय पर प्रदूषण जांच करवाएं, ताकि स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण बनाए रखा जा सके.