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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस, सार्वजनिक धन से मुफ्त में चीजें बांटने का वादा करने वाली पार्टियों का पंजीकरण होगा रद्द

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को इसके मद्देनजर नोटिस जारी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी कर मांग की है कि उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो जिन्होंने सार्वजनिक धन से मुफ्त में चीज़ें वितरिण करने का वादा किया था.

Supreme Court Supreme Court
हाइलाइट्स
  • रिश्वत देने की तरह है तोहफे बांटना 

  • समानता के अधिकार का करता है उल्लंघन 

चुनाव आते ही हर पार्टी जोर-शोर से चुनाव के प्रचार में लग जाती है. कुछ दिनों में 5 राज्यों में चुनाव होने हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को इसके मद्देनजर नोटिस जारी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी कर मांग की है कि उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो जिन्होंने सार्वजनिक धन से मुफ्त में चीज़ें वितरिण करने का वादा किया था.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनाव आयोग को चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से मुफ्त के सामान का वादा करने या बांटने वाले राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने या चुनाव चिन्ह जब्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने वाले ऐसे लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं और इसके लिए चुनाव आयोग को ठोस उपाय करने चाहिए.

रिश्वत देने की तरह है तोहफे बांटना 

बता दें, यह याचिका एक वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में एक विकल्प के रूप में केंद्र को इस संबंध में एक कानून बनाने को कहा गया है. याचिका में अदालत से कहा गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से मुफ्त तोहफे का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है. ये तोहफे चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को खराब करते हैं. इस याचिका के मुताबिक "यह अनैतिक प्रथा सत्ता में बने रहने के लिए मतदाताओं को सरकारी खजाने की कीमत पर रिश्वत देने की तरह है."

समानता के अधिकार का करता है उल्लंघन 

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से कहा है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से निजी वस्तुओं या सेवाओं का वादा या वितरण, जो सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं है, संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है, जिसमें अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) भी शामिल है. याचिका में कुछ राज्यों में चल रही विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों का भी जिक्र किया गया है. याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र का आधार चुनावी प्रक्रिया है. पैसे का वितरण और मुफ्त उपहार का वादा पहले भी कई बार चुनाव रद्द हो चुके हैं.