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सेना की 39 महिला अफसरों को मिली बड़ी जीत! SC का आदेश- स्थायी कमीशन देने के जल्द आदेश जारी करे केंद्र

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एड‍िशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और सीनियर एडवोकेट आर बालासुब्रममण्यन ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच को बताया कि 72 में से एक महिला अफसर ने सेना की सेवा से रिलीज करने की अर्जी दी है. केंद्र सरकार ने 71 मामलों पर फ‍िर से विचार किया और उनमें से 39 मह‍िला स्थायी कमीशन के लिए योग्य पाई गईं हैं. और इन्हें परमानेंट कमीशन दिया जा सकता है.

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हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को सुनाया था फैसला

  • आदेश का पालन नहीं होने पर 8 अक्टूबर को भी लगाई थी फटकार

भारतीय सेना की 39 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन (permanent commission for women in army) मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने केंद्र से कहा क‍ि इन महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने के आदेश जारी किया जाए. अदालत ने 25 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन ना देने  के कारणों के बारे में विस्तृत चार्ट देने का निर्देश भी दिया है.

शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एएसजी संजय जैन और वरिष्ठ वकील आर बालासुब्रममण्यन ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच को बताया कि 72 में से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी है. सरकार ने 71 मामलों पर पुनर्विचार किया और उनमें से 39 मह‍िला स्थायी कमीशन की पात्र पाई गईं हैं. और इन्हें स्थायी कमीशन दिया जा सकता है.

केंद्र की तरफ से यह भी बताया गया कि 71 मह‍िला अफसरों में से 7 चिकित्सकीय रूप से अनुपयुक्त हैं. इनके अलावा 25 के खिलाफ अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप हैं. उनकी ग्रेडिंग खराब है. ऐसे में इन्हें स्थायी कमीशन नहीं द‍िया जा सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट में सेना की महिला अधिकारियों की ओर से दायर अवमानना याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच में अहम सुनवाई हुई. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सेना से कहा था कि आप अपने स्तर पर यह मामला सुलझाइए.  ऐसा ना करें कि इसको लेकर हमें कोई आदेश फिर से देना पड़े. 

महिला अधिकारियों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी से अध‍िक मिले हैं और जिनके खिलाफ अनुशासनहीनता और विजिलेंस के मामले नहीं हैं, उन महिला अधिकारियों को सेना स्थायी कमीशन दे. 

इसके बावजूद इन महिलाओं को सेना में अभी तक स्थाई कमीशन नहीं दिया गया. सेना किसी ना किसी वजह से इन महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं दे रही है. यही नहीं सेना ने इन महिलाओं को रिलीज करना शुरू कर दिया जिस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है. बीते 10 अगस्त को इन महिलाओं ने रक्षा मंत्रालय और सेना को कानूनी नोटिस भेजा था, उसका भी कोई जवाब नहीं मिला तब जाकर इन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाया है. 

सेना में वैसे तो अभी 1500 के करीब महिला अफसर हैं. जबकि पुरुष अफसरों की तादाद 48,000 के आसपास है. पुरुष अधिकारियों की तुलना में यह संख्या करीब तीन फीसदी ही है. अब सेना की इन 72 महिला अफसरों की आखिरी उम्मीद फिर से सर्वोच्च न्यायालय पर ही टिकी है कि वही इनको सेना में स्थाई कमीशन दिला सकती है.