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दहेज प्रताड़ना पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- कानून में बदलाव की है जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना पर चिंता व्यक्त की है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें RTI अधिकारी के समकक्ष दहेज विरोधी अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. ये मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लाया गया था.

दहेज प्रताड़ना पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता दहेज प्रताड़ना पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
हाइलाइट्स
  • दहेज प्रताड़ना निरोधक कानून में बदलाव की जरूरत- सुप्रीम कोर्ट

  • केरल की स्थिति से चिंता में है अदालत

दहेज प्रताड़ना हमारे देश में काफी बड़ा मुद्दा है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि दहेज निरोधक कानून को और मजबूत करने के लिए मौजूदा कानूनों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. इस सामाजिक बुराई के जारी रहने पर अब बहुत ज्यादा विचार करने की जरूरत आ पड़ी है. कानून में बदलाव के साथ-साथ लोगों को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा.

दहेज कानून में बदलाव की सख्त जरूरत
इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के विधि आयोग से भी दहेज हत्या और घरेलू हिंसा के मुद्दों पर विचार करने और मौजूदा कानूनों को और मजबूत करने के उपाय सुझाने की अपील की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई और भी अहम टिप्पणियां भी की. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये कानून बहुत महत्वपूर्ण हैं, और इसमें बदलाव लाना बेहद जरूरी है. हम परिवार में आने वाली महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करते हैं! ये मुद्दा दरअसल सामाजिक महत्व का है. और व्यवस्था में सुधार करने वाले इस मुद्दे को भी देख रहे हैं.

केरल की स्थिति से चिंता में है अदालत
दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें RTI अधिकारी के समकक्ष दहेज विरोधी अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. ये मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लाया गया था. याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील वी के बीजू ने सुनवाई के दौरान कहा कि मैं केरल की स्थिति से परेशान हूं. एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के प्रति दहेज प्रताड़ना के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस वाले को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि, "केरल जैसे राज्य तो लिए ये एक बुरी प्रथा है, दरअसल यहां की शादियों में दहेज के तौर पर काफी ज्यादा सोना मांगा जाता है. इसमें नोटिस जारी होना चाहिए और ऐसे मामलों की जांच के लिए आयोग का गठन किया जाना चाहिए. आयुर्वेद मेडिकल की छात्रा विस्मया केरल के सस्थमकोट्टा में अपने पति के घर में मृत पाई गई थी. केरल के कोल्लम जिले में 24 वर्षीय आयुर्वेद चिकित्सक की संदिग्ध और कथित आत्महत्या के एक दिन बाद,  पुलिस ने दहेज हत्या मामले में आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया था. अदालत ने कहा कि ये विधायी क्षेत्र का मामला है.

क्या है दहेज निषेध अधिनियम? 
भारत में दहेज निषेध अधिनियम 1961 से लागू हुआ है, हालांकि इसके बाद भी दहेज प्रथा अबाध रूप से जारी है. जब इसकी एकमुश्त मांग नहीं की जाती है, तो यह निहित है कि दुल्हन के परिवार को 'उपहार' देने होंगे और दूल्हे और उसके परिवार के लिए एक निश्चित जीवन स्तर प्रदान करना होगा. भारत में दहेज विरोधी कानून के तहत दहेज अवैध है. दहेज निषेध अधिनियम के तहत भारत में दहेज लेने या देने का कोई भी कार्य दंडनीय है. दहेज विरोधी कानून का उल्लंघन करने पर 5 साल तक की कैद और 15 हजार रुपये या दहेज के मूल्य का जुर्माना देना होगा. भारत में दहेज की शिकार कोई भी महिला अपने पति या उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए दहेज वकील से बात कर सकती है.