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Supreme Court On NOTA: नोटा को सबसे ज्यादा वोट तो फिर हो चुनाव, कम वोट पाने वालों को चुनाव लड़ने से रोका जाए... SC ने ECI को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने NOTA को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा ने एक जनहित याचिका दायर की है और मांग की गई है कि अगर चुनाव में NOTA को सबसे ज्याद वोट मिलते हैं तो उस निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा इलेक्शन कराया जाए. इसके अलावा NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को अगले 5 साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए.

Supreme Court Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक तरफ EVM-VVPAT वेरिफिकेशन मामले में चुनाव आयोग (Election Commission) को बड़ी राहत मिली है तो दूसरी तरफ से देश की सर्वोच्च अदालत ने नोटा (NOTA) को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है.

दरअसल कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है कि अगर किसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट नोटा को मिलता है तो उसपर सीट पर दोबारा चुनाव कराया जाए. याचिका में यह भी मांग की गई है कि अगर किसी उम्मीदवार को NOTA से कम वोट मिलते हैं तो उसपर अगले 5 साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाए. 

NOTA पर चुनाव आयोग को नोटिस-
सुप्रीम कोर्ट मे नोटा को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह बात चुनाव प्रोसेस को लेकर भी है. ऐसे में हम देखते हैं कि चुनाव आयोग क्या जवाब देता है.

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याचिका में क्या की गई मांग-
मशहूर लेखक शिव खेड़ा ने एक जनहित याचिका दायर की है और मांग की है कि जिस सीट पर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उस सीट पर फिर से चुनाव कराया जाए.

इसके साथ ही याचिका में ये भी मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक लगा दी जाए. नोटा को काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर प्रचारित किया जाए.

याचिका में तर्क दिया गया है कि नोटा का मकसद सियासी दलों पर बेहतर उम्मीदवार खड़ा करने का दबाव बनाना है. ऐसे कई उदाहरण है, जब किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में करीब सभी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले लंबित होते हैं. ऐसे में वोटर क्या करे? वोटर के हाथ में NOTA एक शक्तिशाली हथियार है.

शिव खेड़ा की तरफ से सीनियर वकील गोपाल शंकरनायराण ने सूरत लोकसभा सीट पर निर्विरोध जीत देने के मामले का हवाला दिया.

आपको बता दें कि सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो गया था. इसके बाद बाकी उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया और बीजेपी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत हो गई.

याचिका में कोर्ट से मांग की गई कि वो चुनाव आयोग को इसको लेकर नियम बनाने का आदेश दे कि अगर नोटा को बहुमत मिलता है तो उस क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराया जाएगा.

किन देशों में NOTA का सिस्टम-
याचिका में कहा गया है कि ईवीएम में नोटा का विकल्प वोटर के पास उम्मीदवारों को 'अस्वीकार करने का अधिकार' के तौर पर है. अस्वीकार करने का नियम 13 देशों में भी लागू है. इसमें फ्रांस, फिनलैंड, ब्राजील, बांग्लादेश, चिली, ग्रीस, स्वीडन, यूक्रेन, बेल्जियम, अमेरिका, कोलंबिया और स्पेन में लागू है.

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